संतुलन..................
ऐ वो चीज़ नहीं जो हाथों में होती है, ऐ तो वो चीज़ है जो हर दफा, सोच से बाहर होती है.
सवालों का सिलसिला.................
सवालों का घेराव बड़ा ज़टिल है, बुनता रहता है नए जाल, ज़िन्दगी को फंसाने के लिए.
तेरे इंतज़ार में...................
जागती आँखों से तुझे याद करते है, बंद आँखों से तेरा दीदार करते है, नहीं बताते किसी को कि तू कैसा दिखता है, हमें क्या मालूम कि क्या तू मेरी कल्पना जैसा ही दिखता है.
गुस्से का कहर..................
हिस्सा है इंसान का, महसूस होता है जज़्बात सा, ड़रते है इससे पर कुछ कर नहीं पाते, भागना चाहते है इससे पर भाग नहीं पाते.
मेरी दुनिया.............
जितने लोग उतने ही ख्वाब होते है, एक ही दुनिया में अनगिनत संसार होते है.
इस दफा हम.................
खुद पर भरोसा करना आ गया, हमें गुमराह करने वालो, हमें रास्ता ढूढ़ना आ गया.
अंतहीन नसीहतें..................
दिक्कत नहीं है सलाह लेने में, ना सुनने में ना खामोश रहने में, हर बार एक ही बात कानों में चुभने लगती है, फिर इंसानों को नसीहतों से खिज लगने लगती है.
समाज अनूठा आइना.............
कहते वाले बहुत है, मगर मानता कोई नहीं, धस गए है खुद में हम, मगर समझता यहाँ कोई नहीं.