संतुलन..................

ऐ वो चीज़ नहीं जो हाथों में होती है, ऐ तो वो चीज़ है जो हर दफा, सोच से बाहर होती है.

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rashi sharma
rashi sharma 01 Nov, 2022 | 1 min read

सोचने की बात है संतुलन करना,

करने की बात है जैसा चल रहा है वैसे ही रहने देना,

हमें सर्फ लगता है कि हम सब कुछ संतुलित कर लेगें,

ऐ तो हमें भी पता है वक्त आने पर हम ही आपा खो देगें,


आज कोई गुस्सा हो तो कल कोई और नाराज़ हो जाता है,

मुँह फेर लेते है सब वजह कौन बताता है,

इधर - उधर पूछते - पूछते ज़िन्दगी के क्षण बीत जाते है,

तुम आए नहीं हमारे पास सुनने को सिर्फ ऐ अल्फाज़ रह जाते है.

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