ना पूरी तरह से मिलता है, ना पूरी तरह से बिछड़ता है,
वो ऊपरवाला भी हमारे साथ मसखरी करता है,
जानता है वो कि हम क्या चाहते है,
समझना तो ऐ है कि वो हमसे क्या चाहते है,
ज़्यादा सोचो तो वो बुरा मान जाता है,
बस अपना काम करते रहो यहीं तो वो चाहता है,
फिक्र ना करो कि बदलें में तुम्हें क्या मिलेगा,
जो चाहते हो वो तो बिल्कुल भी नहीं मिलेगा,
उसकी चाहत पर टिकी दुनिया उसकी तरफ देख रही है,
बेहतरीन देगा इस आस पर टिकी हुई है,
माना कि इंतज़ार लम्बा करवाता है वो,
लेकिन सब्र का सही मोल चुकाता है वो.
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