किस्सा एक अनकहा अनसुना (लूसिफ़र-एक प्रेम कहानी) (प्रस्तावना-1)
...भ्रम!हाँ यही तो वो लगता है सबको। पर सच क्या है ये सिर्फ़ मुझे पता है। मुझे पता है कि उसका इस दुनिया में होना उतना ही सच है जितना ये सच है कि रोज़ सूरज का निकलना और डूबना...पर उसका सूरज सदियों से अपने शिखर पर है, कभी डूबा ही नहीं।




होना है तुम्हें मेरा(एक झलक)
होना है तुम्हें मेरा... हर जनम, हर जनम...तुम्हें मेरी क़सम,तुम्हें मेरी क़सम...

'आखिरी क्षण'
हर इंसान में अच्छाई व बुराई दोनों मौजूद रहती है। जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर फिर उसके साथ सामंजस्य बैठाने या उसे हैंडल करने की कोशिश ही जीवन की सतत प्रक्रिया है।
जागरण भाग-1
ये धरती, ये प्रकृति..... ना जाने कितने राज़ छुपे हैं समय के गर्भ में..... कितनी ही घटनायें घटती हैं और जैसे समुद्र की अथाह जल राशि में उठती-गिरती लहरों का लोप हो जाता है वैसे ही ये घटनायें भी भूत काल के या इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए लोप जाती हैं..... पर क्या हो जब ऐसी ही किसी ऐतिहासिक घटना के कारक..... दो व्यक्ति एक नए रूप, नए अवतार में फिर से वर्तमान में एक-दूसरे के आमने-सामने आते हैं..... ये है ऐसी ही एक कहानी .....कार्तिका और विराट की।