"मैं इससे नफरत करता हूँ,अब इसे और सहन करना मेरे वश की बात नहीं है।" अम्बर बहुत उत्तेजित होकर बोला।
"मैडम,मुझे भी इस इंसान से इतनी अधिक नफरत है कि अब आगे इसे एक क्षण भी नहीं झेल सकती। ऐसा घटिया इंसान मैंने आज तक नही देखा।" इला गुस्से में तिलमिलाती हुई बोली।
"ठीक है,मै आप दोनों से सहमत हूँ लेकिन दो तीन प्रश्नों के जवाब चाहिए मुझे, आप तैयार हैं?"
"यस मैडम"
"आप दोनों वर्किंग है?"
"हाँ"
"आप ऑफिस में अकेले काम करते हैं?"
"नहीं,और भी लोग है वहाँ।"
"फिर जब आप कम करते हैं, कोई डिस्टर्ब करता है बीच-बीच में?
"हाँ, यह तो ऑब्वियस हैं मेम, हम सब एक दूसरे के साथी हैं,काम हम सबका होता है और एक दूसरे से पूछते भी है, जिसको जब हेल्प चाहिए तब करते भी है,ऑफिस हमारे अकेले का नही है।"अम्बर ने ज्ञान बखारते हुए कहा।
"फिर वहाँ आप लोग जो चाहते हैं वही होता होगा न?"
"यह कैसे पॉसिबल है? वह हमारा घर थोड़े ही है? जो हम चाहे वह होगा।" इला बोल पड़ी।
"एजेक्टली यही कहना चाहती हूँ मैं ; आखिर वह तुम्हारा घर नहीं है और वे लोग तुम्हारे सगे नही हैं फिर भी तुम उन्हें सहन किये जाते हो और सहयोग भी करते हो क्योंकि तुम स्वीकार कर चुके हो कि वे सब हमारे साथ ही काम करने वाले है और इनसे निभाना है।
यही बात तुम्हें अपने जीवन मे स्वीकार करने में इतना समय क्यों लग रहा है जहां तुम अपना अमूल्य जीवन एक दूसरे के प्रति समर्पित कर चुके हो।
"तुम अपने घर में भी वही भावनाएं एक दूसरे की क्यों नही समझ सकते कि सामने वाला व्यक्ति स्वतंत्र अस्तित्व रखता है, उसकी भी भावनाएं है। यह जैसा है, उसी रूप में मुझे स्वीकार है।"
आप लोगों के कहे अनुसार आप एक दूसरे से एक हद तक नफरत करते हैं लेकिन यह भी ध्यान होगा आपको कि जब किसी की हद आ जाती है तब वहाँ से लौटना होता है।
'मैं'अलगाव व 'हम' लगाव की ओर खींचता है।"
अम्बर व इला अब सोचने पर मजबूर थे।
क्या उनका जीवन ऑफिस के अनुशासन से बंधे बंधाये जीवन से भी गया गुजरा है? क्या कभी वे एक दूसरे को समझ कर एक साथ रहने की कोशिश नहीं कर सकते?
माना कि स्त्री पुरूष के स्वभाव की प्रकृति ही एक दूसरे से एकदम विपरीत होती है लेकिन क्या उन्हें एक दूसरे को स्वीकार करने में इतनी ज्यादा परेशानी है?
क्या दोनों ने एक दुसरे को कभी प्यार नहीं किया था?
क्या अब। आगे आने वाली जिंदगी में दोनों के सुख-दुःख साझा नहीं हो सकते?
ऐसे अनगिनत सवाल दोनों तरफ उछल रहे थे।
थोड़ी देर बाद अम्बर ने थोड़ा झुकते हुए इला को कहा, "प्यार तो मैंने तुम्ही से किया है।"
इला ने अपनी नज़रे ऊपर करते हुए कहा,"मैंने कब किसी दूसरे से किया है।"
और दोनों खिलखिला पड़े।
क्षितिज सिंदूरी हो उठा था।
कुसुम पारीक
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
एक अलग सोच, जिंदगी को सुंदर बना सकती है। 👍👏👏👏👏
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