Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read
ग़ज़ल

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read
Ghazal

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poetry

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

स्वयं-सुधार

जूझ रहा हूँ, कुछ सूझ रहा हूँ, हर-पल एक पहेली बूझ रहा हूँ। अब हर पहेली का, हल निकाल डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। लड़ता रहा,झगड़ता रहा, खुद से,खुद को मिटाता रहा। अब हरेक गलती को,जड़ से मिटा डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। जमाने की सुनता रहा, खुद को ताने बुनता रहा। अब मैं खुद की सुनूंगा, और यही ठानूंगा, अब हार नही मानूंगा।। गलतियां पे गलतियां करता रहा, अपनी हार पर,खुद को हारता रहा। अब कुछ भी हो,मैं खुद को ही सुधारूँगा, अब हार नही मानूंगा।। अपने वजूद पर तरस आपने लगी थी , आईने के सामने शरम आने लगी थी। अपना वो चेहरा,अब खुद को नही दिखाऊंगा, अब हार नही मानूँगा।। पल -पल की कीमत पहचानूंगा, खुद की ज़ीनत ,अब बचाऊंगा। अब तक जो भी किया,सब भूल कर, एक नई जिंदगी मैं पाऊँगा।। अब हार नही मानूँगा। अब हार नही मानूँगा।। ©aman_g_mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

मन

मन बहुत अधीर है, चंचल हुआ ये नीर है। मन में अमन नही, अमन में मन नही, कैसा ये संयोग है, या कहूँ वियोग है। मन से अमन का... मन को अमन चाहिए, अमन को मन चाहिए, ये कैसा बेजोड़ है, कैसा बेमिसाल है जो प्रेम है , जो नेम है, बिछड़ाव , मन से अमन का... मन मानता नही, अमन की सुनता नही, फिर भी, मन चाहता है अमन, पर अमन से दूर ही , खोया रहता है, जैसे इश्क़ हो गया हो, मन से अमन का... अमन के मन में , अमन नही, जैसे सागर के , तल में जल नही फिर भी अलग है, या एक हैं, अमन भी जानता नही, ये लगाव, मन से अमन का... ©aman_g_mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

बच्चे बन जाएं

आओ कुछ पल बच्चे बन जाएँ, आओ कुछ पल सच्चे बन जाएं। न हो किसी से ईर्ष्या, न हो किसी से जलन, कुछ पल के लिए हम झगड़ें, फिर उसके ही दोस्त बन जाएं। आओ कुछ... दिल में हो एक ज़िद, पाने को पूरी दुनिया हो, खोने का न डर हो, अपनी चीजें हम खुद तोड़ें, और फिर खुद बनाएं। आओ कुछ पल... आँखों में हर पल , एक ख्वाब झलकता हो, मिल जाये तो खुश, नही तो हम रूठ जाएँ, कुछ पल के लिए हम रूठे, फिर हम खुश हो जाएं, आओ कुछ पल... छोटी छोटी खुशियाँ हो, छोटी-छोटी चीजें, इन छोटी चीजों में ही, हमारे सब सपने सच हो जाएं, इन छोटी छोटी खुशियां पा , हम भी खुश होने लग जाएँ। आओ कुछ पल... खेल खेल में हम, सारे काम कर जाएँ, इस तन में कुछ फुर्ती पाएं, सयानो को भी बच्चे बना पाए, हम भी अपना बचपना पाएं। हम भी अपना बचपना पाएं।। आओ कुछ पल.... अपने ख्वाबो में ही अपनी दुनिया हो, नित नए नए सपने सजाएँ, दिल में कितना भी दुःख हो, दो आंसुओ में हम सारा दर्द भूल जाएं। आओ कुछ पल बच्चे बन जाएं। आओ कुछ पल सच्चे बन जाएं।। ©aman_g_mishra

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MRIGANKA ROY
MRIGANKA ROY 06 Aug, 2019 | 1 min read
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Ragghi
Ragghi 03 Aug, 2019 | 0 mins read

तेरे बिना मैं

है हर लम्हा तू यही कही मेरे करीब

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Ragghi
Ragghi 03 Aug, 2019 | 0 mins read

प्यार की सुरुवात

रास्ता फिर मुकाम हो जाये, उस गली में जो तेरा मकान हो जाये...

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