Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 0 mins read
कविता:पॉलिटिक्स
Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 1 min read
गज़ल

गज़ल

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 1 min read
कविता

कविता

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Neha
Neha 24 Aug, 2019 | 1 min read
Lovely day

Lovely day

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 1 min read

ग़ज़ल

Date: 13 Aug 2019 ? गजल ? 2122 2122 2122 212 इश्क में जारी रहा जो सिलसिला कुछ भी नहीं अब रहा उनसे हकीकत में गिला कुछ भी नहीं इश्क था उनको हमीं से हां मगर कहते नहीं अब रहा उनसे मुहब्बत का सिला कुछ भी नहीं जिंदगी में जिंदगी से जंग भी जारी रही जिंदगी में जिंदगी जैसा मिला कुछ भी नहीं इक नदी पीछा किये थी साहिलों से इस कदर जैसे उनके दरमियां हो फासिला कुछ भी नहीं जब तलक दौलत थी यारो तब तलक यारी रही आजकल है दोस्तों का काफिला कुछ भी नहीं निर्भया कितनी सताई जा रहीं हैं मुल्क में राजनीती के बराबर पिलपिला कुछ भी नहीं आदमी की जांन पर शामत हुई है आजकल फैसला होता रहा पर फैसला कुछ भी नहीं दौर में पतझड़ के गुलशन को है सींचा खून से गुल के उस वीरान जंगल में खिला कुछ भी नहीं जीस्त में "योगी "किये हैं काम तो लाखों मगर 'मील के पत्थर' के जैसा है शिला कुछ भी नहीं ---

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Shakeb
Shakeb 15 Aug, 2019 | 1 min read

Still Trying.

Still Trying.

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Kavita Sharma
Kavita Sharma 14 Aug, 2019 | 1 min read

तिरंगा

तिरंगा भारत की शान है।

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Yash Jain
Yash Jain 12 Aug, 2019 | 1 min read

ए वतन

Feel of soldier towards nation

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Hari
Hari 12 Aug, 2019 | 1 min read
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Manu jain
Manu jain 11 Aug, 2019 | 1 min read
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