रियलिटी शो: कितने रियल?
रियलिटी शो जहाँ विभिन्न कलाओं जैसे सिंगिंग, डांसिंग, एक्टिंग आदि के क्षेत्र में देश भर से उभरते सितारों को जनता से प्यार पाने का ज़रिया बन रहे हैं वहीं इन्हें चलाने वाली कंपनियों की अंधाधुंध कमाई का...।
#Realityshow
जब मैं डर गया
उस शाम से मुझ में डर घर कर गया, जबसे मैं उस गली से गुज़र कर गया। सूनी गली में खंडहर हवेली से क्या गुज़रा, उस वक़्त कोई उलटे पांव लौट कर गया। शाम के सन्नाटे बीच चीखती आवाज़, कोई परिन्द बाज़ू से फड़फड़ा कर गया। रोएं खड़े आंखें चेतीं पैर थरथराने लगे, एक झोंका आया औ' लगा मैं मर गया। दिल-ओ-दिमाग-ए-हाल खौफ़-ज़दा मैं इतना डरा चश्म पानी से भर गया। इस हालत में कुछ न सूझा, माँ ने कहा था, "राम नाम लेना'',लेते ही, सारा डर गया। - Aman G Mishra
तुम ज़िंदा हो तो सबूत रखो
तुम ज़िंदा हो, तो सबूत रखो, यहां कुछ मुर्दे टहलते रहते हैं। बातों में आग से खेलते हैं जो, धूप लगते ही पिघलते रहते हैं। इनकी बातों में मैं नही आता, ऐसे लोग तो, मिलते रहते हैं। तुम सच्चाई को हिम्मत से कहो, कुछ लोग ज़ुबान सिलते रहते हैं। तुम अपनी क़द्र करना सीखो, लोग फ़न को कुचलते रहते हैं। तुम चराग़ जलाये रखा करो, रास्ते में सांप निकलते रहते हैं। अपनी बातों में वज़न रखो अमन, यहां सब फालतू ही बोलते रहते हैं। aman g mishra
चौकीदारी
मंत्री सारे चौकीदारी पे उतरे, अब कोई चौकीदार मंत्री बने,तो बात बने। पानी सर से ऊपर है,पांव अभी भीगे नही, पानी जब कुछ नीचे उतरे , तो बात बने। यहाँ का शाह फ़कीर बने फिरता है, कोई फ़कीर अब सिकंदर बने , तो बात बने। रोटी कपड़ा औ' मकान, नही है इतना आसान, कोई एक गिलास पानी तक पूंछे,तो बात बने। किरदार, मुखौटे, असलियत ,कोई मेल नही, कोई इंसान ग़र इंसान बने, तो बात बने। एक तारा है ,जो टिमटिमाता रहता है, उससे कहो वो चाँद बने, तो कोई बात बने। बात बात पर रोने से काम नही चलता है, किसी ग़रीब का कोई काम करे , तो बात बने। -Aman G Mishra
भारत विडम्बना
तुम दृढ नही ,तो कुछ नही, तुम आज हो,पर कल नही! अपने विचारों की सदृढता, खो गयी या थी नही !! सिंधु की लहरों में अब , सिंह सी गर्जना नही ! बात कह के जो अटल हो, क्या वो अब भारत नही!! बाण शैया पर था लेटा, शब्द सार्थकता सही! अपने ही वचनों पर अमर हो, क्या वो गंगा-सुत तुम नही!! दुनिया को सिखलाया इसी ने, ज्ञान-दीपक था यही ! क्षुद्र-पाखण्डी प्रभावित, क्या ये भारत था वही!! गंगा की लहरें भी न बदली, अब भी हिमालय खड़ा वहीं! तब क्यों कहता है ये भारत, अब स्वर्ण की चिड़िया नही!! क्या अब इस माटी में , वो वीर पैदा होते नही! कि भारत माँ की छाती में, अमृत सा अब पय नही!! फिर क्यों उसकी संतानों में , वो तेज दिखता ही नही! जो बता दे विश्व को, अब भी ये भारत है वही!! अब भी ये भारत है वही!! भारत माता की जय!! जय हिंद!! ©aman_g_mishra