तुम ज़िंदा हो, तो सबूत रखो,
यहां कुछ मुर्दे टहलते रहते हैं।
बातों में आग से खेलते हैं जो,
धूप लगते ही पिघलते रहते हैं।
इनकी बातों में मैं नही आता,
ऐसे लोग तो, मिलते रहते हैं।
तुम सच्चाई को हिम्मत से कहो,
कुछ लोग ज़ुबान सिलते रहते हैं।
तुम अपनी क़द्र करना सीखो,
लोग फ़न को कुचलते रहते हैं।
तुम चराग़ जलाये रखा करो,
रास्ते में सांप निकलते रहते हैं।
अपनी बातों में वज़न रखो अमन,
यहां सब फालतू ही बोलते रहते हैं।
aman g mishra
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.