तेरे समीप मैं जब से आया,
चन्दन उपवन सा घिर आया।
तुम पुष्पसुबासित सुबासिनी
तूने मुझ को है महकाया।।
उस झील नील आकाश में,
एक चाँद तुम्हारी है छाया।
हैं नयन ये पागल कस्तूरी,
जबसे नयनों का रस पाया।।
प्रतिपल अंतः में है निहित,
रहती है इक सुंदर छाया।
उस छाया के साकार को,
मन मेरा चंचल तरसाया।।
मुझको प्राणों से है प्यारा,
चेहरा तेरा वो मुस्काया।
हो पुलकित हर मुस्कान तेरी,
इस दरिया को मैं तर आया।।
- Aman G Mishra
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