तुम दृढ नही ,तो कुछ नही,
तुम आज हो,पर कल नही!
अपने विचारों की सदृढता,
खो गयी या थी नही !!
सिंधु की लहरों में अब ,
सिंह सी गर्जना नही !
बात कह के जो अटल हो,
क्या वो अब भारत नही!!
बाण शैया पर था लेटा,
शब्द सार्थकता सही!
अपने ही वचनों पर अमर हो,
क्या वो गंगा-सुत तुम नही!!
दुनिया को सिखलाया इसी ने,
ज्ञान-दीपक था यही !
क्षुद्र-पाखण्डी प्रभावित,
क्या ये भारत था वही!!
गंगा की लहरें भी न बदली,
अब भी हिमालय खड़ा वहीं!
तब क्यों कहता है ये भारत,
अब स्वर्ण की चिड़िया नही!!
क्या अब इस माटी में ,
वो वीर पैदा होते नही!
कि भारत माँ की छाती में,
अमृत सा अब पय नही!!
फिर क्यों उसकी संतानों में ,
वो तेज दिखता ही नही!
जो बता दे विश्व को,
अब भी ये भारत है वही!!
अब भी ये भारत है वही!!
भारत माता की जय!!
जय हिंद!!
©aman_g_mishra
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