ग़ज़ल

तुम क्या जानो अँधेरे में साये कैसे दिखते हैं, वे लोग सरसैया जलाकर इबारत लिखते हैं। हाँ है दर्द मेरी हालत में बहुत, तुम भी रोओगे हम लोग तो पत्थरों पर अपना भाग लिखते हैं। हमारा हाल लिखके वक़्त ज़ाया न करो अमन' ये अमीर हैं साहेब ये धूप में कहाँ दिखते हैं। ©aman_g_mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

तुम क्या जानो अँधेरे में साये कैसे दिखते हैं,

वे लोग सरसैया जलाकर इबारत लिखते हैं।


हाँ है दर्द मेरी हालत में बहुत, तुम भी रोओगे

हम लोग तो पत्थरों पर अपना भाग लिखते हैं।


हमारा हाल लिखके वक़्त ज़ाया न करो अमन'

ये अमीर हैं साहेब ये धूप में कहाँ दिखते हैं।

©aman_g_mishra

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