आओ कुछ पल बच्चे बन जाएँ,
आओ कुछ पल सच्चे बन जाएं।
न हो किसी से ईर्ष्या,
न हो किसी से जलन,
कुछ पल के लिए हम झगड़ें,
फिर उसके ही दोस्त बन जाएं।
आओ कुछ...
दिल में हो एक ज़िद,
पाने को पूरी दुनिया हो,
खोने का न डर हो,
अपनी चीजें हम खुद तोड़ें,
और फिर खुद बनाएं।
आओ कुछ पल...
आँखों में हर पल ,
एक ख्वाब झलकता हो,
मिल जाये तो खुश,
नही तो हम रूठ जाएँ,
कुछ पल के लिए हम रूठे,
फिर हम खुश हो जाएं,
आओ कुछ पल...
छोटी छोटी खुशियाँ हो,
छोटी-छोटी चीजें,
इन छोटी चीजों में ही,
हमारे सब सपने सच हो जाएं,
इन छोटी छोटी खुशियां पा ,
हम भी खुश होने लग जाएँ।
आओ कुछ पल...
खेल खेल में हम,
सारे काम कर जाएँ,
इस तन में कुछ फुर्ती पाएं,
सयानो को भी बच्चे बना पाए,
हम भी अपना बचपना पाएं।
हम भी अपना बचपना पाएं।।
आओ कुछ पल....
अपने ख्वाबो में ही अपनी दुनिया हो,
नित नए नए सपने सजाएँ,
दिल में कितना भी दुःख हो,
दो आंसुओ में हम
सारा दर्द भूल जाएं।
आओ कुछ पल बच्चे बन जाएं।
आओ कुछ पल सच्चे बन जाएं।।
©aman_g_mishra
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