Vineeta Dhiman
03 Jul, 2020 | 1 min read
Smriti Jadia
28 Jun, 2020 | 1 min read
आधी हकीकत आधा फ़साना
कभी कभी हम अपने आपसे ही बेखबर रहते हैं बार बार कोई अलौकिक शक्ति हमें हमसे मिलवाने को कोशिश करती हैं हमारे अधूरी दस्ता पूरी करने के लिए
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Sushma Tiwari
26 Jun, 2020 | 1 min read
स्वाधीनता संग्राम
दादा जी स्वतंत्रता सेनानी थे तो मेरा भी फर्ज बनता है देश के लिए। एक लड़ाई आज मैं भी छेड़ता हूं भ्रष्टाचार के खिलाफ
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Shah طالب अहमद
21 Jun, 2020 | 0 mins read
रिश्तों की नोकझोंक।...
इल्ज़ाम के दौर में एहतराम किसे पसंद आता है। मज़ाक की हद रखें , कम अग़र सब्र का माद्दा है। गिरेबान में खुद के कहाँ किसी ने झांका है। गलतियों की फेहरिस्त में खुदको सबने कम आंका है। अपनी और अपनों की गलती में,होता अपना ही घाटा है। ऐसे हालातों में रिश्ता तो रहता है ,मगर भरोसा टूट जाता है।
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