" तुम लोग स्कूल में पढ़ने आते हो या इश्क लड़ाने? तुम्हारे जैसे कुछ लोगों के कारण ही विद्यालय का नाम खराब होता है। भूगोल की शिक्षिका, मिसेज़ तनेजा जो 9 ई की क्लासटीचर भी थी गुस्से में चिल्लाई।
" तुम दोनों की हिम्मत कैसी हुई कि स्कूल बंक मारकर सिनेमा देखने जाते हो?" तनेजा मैम उसी रौ में चिल्लाए जा रही थी। पास खड़े अमन और श्रेयसी के पेरेन्ट्स का भी उन्हें ध्यान न था!
"तप्पाक" एक जोरदार तमाचा अमन के गाल में आकर पड़ा।उसके बारे में शिकायत सुनकर अमन के पिता आग बबूला हो गए थे। उन्होंने आव देखा न ताव! अपने लड़के पर हाथ उठा बैठे।
बात यह थी, कि 9ई के श्रेयसी और अमन का आज स्कूल में पेरेन्ट काॅल हुआ था।
अमन का
अपराध इतना था कि कल उसने अपने बेस्ट फ्रेन्ड करनजीत से झूटमुठ कहा था कि वह और श्रेयसी एक दिन पहले मार्निंग शो में फिल्म देखने गए थे। उसके बाद, यह बात ऐसी फैली कि टीचर के कानों तक वह जा पहुँची और वे बिना कोई समय गँवाए अपने विद्यालय की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए उन दोनों के पेरेन्ट्स को स्कूल में बुला डाला।
हम जिस समय की बात कर रहे हैं, वह ऐसा जमाना था कि बच्चों के विद्यालय से बुलाया जाना पैरेन्ट्स के लिए बड़ा अपमानकर समझा जाता था और वे पैरेन्ट्स अपने इस अपमान का बदला बच्चों की भरपूर धुनाई करके लेते थे। धोबिन पर बस न चले तो गधे के कान ऐंठे!
ऐसे में, बेचारे बच्चों की हालत सबसे नाज़ुक हुआ करती थी। उनको दोनों तरफ की ही जिल्लत झेलनी पड़ती थी। इसलिए वे बड़े फूंक फूंककर कदम रखते थे। परंतु कई बार मामला हाथ में नहीं होता था। जैसा कि इस समय वह अमन के हाथ से निकल चुका था।
इधर अपने समस्त अपराधों से अनभिज्ञ श्रेयसी सिर नीचा किए हुए खड़ी थी। इस समय अमन के पिता और श्रेयसी की माँ अपने बच्चों को बारी बारी से डाँटे जा रही थीं। वह भी पूरी कक्षा की उड़तीस जोड़ी घूरती हुई निगाहों के सामने।
श्रेयसी
ने एकबार तिरछी नजरों से अमन को देखा। उसके गाल में ऊंगलियों के निशान स्पष्टरूप से दिखाई दे रहे थे। परंतु श्रेयसी को लगा कि जख्म गालों से ज्यादा कहीं और अधिक गहरा है। उसे अमन की हालत पर दया आने लगी।
जैसे ही डाँट-डपट एक मिनट के लिए रुकी श्रेयसी ने पूरी हिम्मत के साथ कह डाला, " मैडम, बुधवार को पहले और दूसरे पिरियड में फिजिक्स का टेस्ट था। मैंने वह एक्ज़ाम दिया था। जहाँ तक मुझे याद है, अमन भी उस समय कक्षा में उपस्थित था। फिजिक्स के मैथ्यूज़ सर ने अटेन्डेन्स भी लिया था।"
इसके बाद मैथ्यूज़ सर बुलाए गए और अटेन्डन्स रजिस्टर चैक किया गया तो श्रेयसी की बात सही निकली।
मिसेज़ तनेजा के चेहरा उस समय देखने लायक था।
कक्षा की ओर जाते हुए अमन ने श्रेयसी को हौले से कहा था,
" सारी"।
वह उसकी ओर देख भी नहीं पा रहा था। लगा कि श्रेयसी जरूर उसके साथ जबरदस्त झगड़ा करेगी।
" अगली बार जब मेरे साथ सिनेमा जाने का ख्याल आए तो आकर सिर्फ मुझसे ही कहना, समझे? दूसरे लोगों को यह सब बताने का नतीजा तो देख ही रहे हो?" कहकर श्रेयसी वहाँ से बड़े - बड़े कदमों से चलकर कक्षा में घुस गई।
इधर अमन के पाँव वहीं ठिठक गए। यह क्या कह गई, श्रेयसी? इस जवाब की तो उसे जरा भी प्रत्याशा न थी!
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