समय बीतता गया। अब अमन काफी बदल चुका था। अब वह पहले जैसे बेहूदा मज़ाक नहीं किया करता था। श्रेयसी ने उसदिन उसे बचा लिया था और सबसे बड़ी बात यह थी कि उसने उसे माफ भी कर दिया था।
वह श्रेयसी के प्रति कृतज्ञता से भर उठा था। परंतु उससे भी बढ़कर कुछ और था जो अमन के अंदर पनप रहा था। वह कक्षा के बीच में सबकुछ भूलकर अवाक् श्रेयसी को एकटक देखा करता था। उस समय अपने आसपास उसे कुछ भी नज़र नहीं आता था। लगता था कि जैसे वे दोनों ही सिर्फ वहाँ बैठे हो, और कोई नहीं हैं, कहीं भी।
इधर श्रेयसी को देखकर नहीं लगता था, कि उसके अंदर कोई विशेष परिवर्तन हुआ हो। वह पहले जैसे ही नाॅर्मल रहती थी।अपने पढ़ाई और बाॅस्केट बाॅल की कोचिंग में पूरा ध्यान देती थी। कभी कभी उसकी नज़रें अमन से टकरा जरूर जाया करती थी। तब वह पाती कि अमन उसकी तरफ ही देखे जा रहा है
एक महीने बाद
स्कूल की छुट्टी के बाद जब श्रेयसी घर जाने को स्कूल-गेट से निकली तो उसने गेट के सामने अमन को प्रतीक्षारत देखा। उसे देखते ही वह आगे आया और श्रेयसी से बोला,
" तुम से कुछ बात करनी थी, श्रेयसी!"
श्रेयसी की हृदयगति एकाएक बहुत तेज हो गई। परंतु उसे तुरंत काबू में करके ज़रा मुस्कराकर वह अमन से बोली,
" कहो न, क्या कहना चाहते हो?"
इसके बाद अमन और वह साथ- साथ चलने लगे।
अमन बहुत कोशिश करने लगा कुछ कहने को परंतु उसके मुँह से बोल ही नहीं फुट रहे थे।
उधर उसके दोस्त जो दूर खड़े इशारे- इशारे में उसकी हौसला बढ़ा रहे थे, उसे कुछ कहने के लिए उकसाने लगे। परंतु जैसे ही अमन कुछ बोलने को हुआ तो उसने पाया कि उसकी जीभ तालु से जा चिपकी है।
श्रेयसी की भी यही हालत थी। उसके पैर काँपने लगे थे। गला भी बहुत सुख गया था। बार-बार दोनों हाथों की ऊंगलियाँ वह मटका रही थी। इतनी नर्वस तो वह पहले कभी नहीं हुई थी।
वह वहीं सड़क किनारे लगी एक बेंच पर अचानक बैठ गई। उसकी देखादेखी अमन भी थोड़ी देर बाद उसके पास आकर बैठ गया। और हिम्मत करके पूछा,
" श्रेयसी, तुम किसी को पसंद करती हो? मतलब तुम्हारा कोई बाॅय फ्रेन्ड है?"
अबतक श्रेयसी थोड़ी संभल चुकी थी। उसने धीरे से सिर हिलाकर कहा ,"हाँ।"
अमन को जैसे इलैक्ट्रिक का शौक लगा। वह बड़े बेमन से बोला,
" अच्छा!! अच्छी बात है।"
श्रेयसी उसकी ओर देखकर मुस्कराई। बोली,
" चलो, तुम्हें मेरे बाॅय फ्रेन्ड का फोटो दिखाती हूँ।"
" मैं क्या करूँगा, देखकर!" अमन मुॅह लटकाकर बोला।
" अरे, देखो न! कम से कम, यह तो कह ही सकते हो कि कैसा है, मेरे लायक है या नहीं?"
यह कहकर उसने एक लिफाफा दिया और बोली,
", इसे खोलकर देखो!"
अमन को लगा कि वह उठकर वहाँ से चले जाए। परंतु अपने बाॅयफ्रेन्ड का फोटो दिखाए बिना श्रेयसी उसे छोड़ने वाली न थी। वह उसके पीछे ही पड़ गई।
जब वह किसी तरह न मानी तो अमन ने वह लिफाफा खोला। एक सुन्दर नक्काशीदार फोटोफ्रेम जैसा कुछ था उसमें । काँपते हाथों से अमन उसे खोला और अपने चेहरे के पास ले आया।
" अरे! फोटोफ्रेम तो खाली है!" जैसे ही अमन बोला, शाम की ढलती धूप उस चीज़ पर पड़ी और वह चमक उठी।
वह फोटोफ्रेम नहीं था। एक सुंदर नक्काशीदार आइना था!
अमन जैसे ही उसे अपने चेहरे के पास ले आया उसमें अपना अक्स देखकर वह चौंक उठा!
स्कूल का बैग तब उसके हाथ से छूट गया जब वह अचानक बैंच से उठकर खड़ा हो गया था!
इधर श्रेयसी उससे दूर खड़ी मुस्करा रही थी। वह अपनी हँसी दबाकर अपना बनावटी चेहरे के साथ बोली,
" जानते हो अमन, पर एक ही प्राॅब्लेम है। मैं अपने ब्याॅयफ्रेन्ड से कभी अपनी दिल की बात न बता सकी---"
उसकी बात अभी पूरी नहीं हो पाई थी कि अमन भागकर पीछे से उसके पास आया और उसे कसकर गले से लगाकर कान में फुसफुसाते हुए बोला,
" I love you "।
**** समाप्त*****
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