Preeti Gupta

preetigupta1

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मैं गृहणी हूँ, मुझे पढ़ने और लिखने का शौक है। "मैं अपने जज़्बातो को शब्दों के मोती में पिरोकर, जिंदगी के कागज़ पर भावों के क़लम से लिखती हूँ ।"

Preeti Gupta
Preeti Gupta 22 Oct, 2020 | 1 min read

सोन चिरैया

बेटी अपने माता-पिता की सोन चिरैया जैसी होती है।जिसे पाल पोसकर बढा करते है।और एक दिन वो किसी ओर के घर का नूर बन जाती है।बेटी अपने माता-पिता से अपने मन की बात कह रही है।

#Bonding #Parents #Daughter

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 22 Oct, 2020 | 1 min read

पत्थर से मजबूत इरादे

परिवार में कभी-कभी विषम परिस्थितियां आ जायें, तो घबराना नहीं चाहिये ।बस पत्थर से मजबूत बन कर उनका हल निकालना चाहिए ।

#Family #Supporting #Lifeline

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 21 Oct, 2020 | 1 min read

ज़ुदाई

हमें दूर करना होगा। ख़ुद व समाज रुग्ण होती मानसिकता को।जो फैला रही है अपनी जड़ें समाज की नींव को खोखला करने के लिये।

#Change your thoughts

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 10 Oct, 2020 | 1 min read

ख़्वाहिशें....

एक नारी की ख़्वाहिश कि वो कैसा जहाँ चाहती है।ये कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है।

#Women's want?

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 01 Oct, 2020 | 1 min read

मनःस्थिति का बदलाव

फ़िल्मी जगत ने हमें बेहतरीन फिल्में दी।उनका समाज के प्रति जो कार्य था वो पूरा किया।मगर दर्शकों की पसंद का ध्यान रख कर अब फिल्में वैसी नहीं बन रही है ।जो समाज को दिशा दे।आज की युवा पीढ़ी को धार्मिक व प्रेरणा फिल्मों की तरफ अपने कदम बढाने होगे ।

#Social issues #Change your thoughts #Inspiration

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 17 Sep, 2020 | 1 min read

बुढ़ी आँखो से झांकता मीडिया का पक्ष व निष्पक्ष

जैसे जैसे समय बदल रहा है।वैसे वैसे हर किसी नजरिया बदल रहा है।हर जगह आपको बदला स्वरूप दिखेगा ।बात करे तो मीडिया की तो उसका जितना विस्तार हुआ है।उतना ही उसका स्वरूप बदल रहा है।उसका पक्ष व निष्पक्ष स्वरूप उजागर हो रहा है

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 10 Sep, 2020 | 1 min read

मस्ती भरा बचपन

बचपन जीवन का ऐसा पड़ाव होता है जहाँ किसी बात की कोई फिक्र नहीं होती है ।

##thepoetryblast

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 09 Sep, 2020 | 1 min read

मानवता

मानवता गुण होना इंसान को सर्वोपरि बनाता है जो भी इसे अभिभूत करता है वह सूखता अनुभूति महसूस करता है ।

##thepoetryblast

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 08 Sep, 2020 | 1 min read

मैं अधूरी तुम बिन

प्रियतम अपने प्रियवर से वर्णन करते हुये बता रही हैं कि जैसे जीवन अधूरा है सांस के बिना वैसे ही मैं अधूरी तुम बिन.........

##thepoetryblast

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Preeti Gupta 25 Aug, 2020 | 1 min read

आत्मनिर्भर और सशक्त भारत

राहुल जो एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी में विदेश में जाॅब करता था।अभी छुट्टियों पर अपने घर भारत आया हुआ था। उसका मन अपने साथ जाॅब करने वाली नेहा से मिलने का करता था ,जिसे वो दिलों ही दिल चाहने लगा था। मगर नेहा का मन विदेश में नहीं लगता था ।इसलिए वह जाॅब छोड़कर भारत आ गई थी । राहुल उससे मिलने पहुँचता है तो देखता है कितने स्मार्ट दिखने वाली नेहा सब्जियों और फलों से घिरी बैठी है। राहुल को देखकर नेहा खुश हो जाती है। वो उसे अंदर आने का इशारा करती है और बैठने को कहती है। थोड़ी ही देर में अपना काम वर्क़र को समझा कर राहुल से मिलने आ जाती है। राहुल-नेहा तुम जाॅब छोड़कर क्यों आ गई?तुम तो कितनी प्रतिभाशाली व योग्य थी,तुम्हें उसी साल पुरस्कार भी मिला था। नेहा-राहुल मेरा आना जरूरी था।मेरे को मेरे दादा-दादी ने पाल-पोस कर बड़ा किया ।जब उन्हें मेरी जरूरत थी ।तो मैं उन्हें अकेला कैसे छोड़ दूँ,इसलिए वापस आ गई। और तुम सुनाओ ,कैसे हो? राहुल -मैं ठीक हूँ ।मेरा एक विदेशी दोस्त भारत में अपना काम डालना चाहता है।मैं भी उसके साथ काम करूंगा । राहुल-मगर तुम ये सब्जी और फल ? ये सब क्या है? नेहा बताती है -मेरे दादाजी ने अस्वस्थता के कारण अपने खेत दूसरों की देख-रेख में दे दिये थे।जिससे आय कम होती थी।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सोचा खाली बैठी हूँ ।जाकर जायजा लिया जायें ।तो देखा खेती तो खूब अच्छी हो रही है।मगर हमें कोई न कोई नुकसान बताकर रूपये कम देते थे। मैंने इस बारे में दादाजी से बात की।तो उन्होंने कहा,"बेटा कौन करेगा।" तब मैंने कहा मैं करूँगी ।और फिर जैविक खेती की शुरुआत की ।शुरुआत मैं थोड़ी दिक्कत हुई।फिर सब सीख गई।अब मेरा ही खेत ,मेरा ब्रांड और मेरी मुद्रा मेरे देश में है। राहुल तुम 'मेक इन इंडिया' की बात करते हो ।और मैं 'मेड इन इंडिया' को महत्व देती हूँ । प्रीती गुप्ता

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