सोन चिरैया

बेटी अपने माता-पिता की सोन चिरैया जैसी होती है।जिसे पाल पोसकर बढा करते है।और एक दिन वो किसी ओर के घर का नूर बन जाती है।बेटी अपने माता-पिता से अपने मन की बात कह रही है।

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 22 Oct, 2020 | 1 min read
Bonding Parents Daughter

मैं तेरे घर की सोन चिरैया 

माँ-बाबा की लाडली बिटिया

भाई की प्यारी बहना

खेल -खिलौने गुड्डे-गुड़ियाँ 

जब सजाती माँ करिने से

मानों यूँ लगता कि परी हूँ 

मैं तुम सब के दिल की

पापा के कंधे पर बैठ

घूमी थी पूरे आँगन में 

भईया की उँगली पकड़ 

चली थी जब स्कूल में 

खुलें आसमान में पंख फैला कर

अपने सपनों को पूर करने

स्वावलंबी बन किये सपने पूरे

डोली चढ़ जब जाऊँगी पिया घर

एक नया आशियाना बसाने को

तुम हटा ना देना मेरी सब परछाईयां 

मेरी जाने के बाद 

जब भी अगर रूठ के आ 

जाऊँ पिया के घर से

तो प्यार से गले लगा लेना

मेरी कच्ची गृहस्थी को अपनी 

सीख से बिखरने से बचा लेना

जब भी आ जाये परेशानी 

मुझ पर या तुम पर खड़े है

ढाल बनकर एक-दूसरे के साथ

जब भी आ जाये याद मेरी

तो ढूँढ लेना मेरा वही कोना 

जिसे सजाया था हमने अपने हाथों से

मेरी यादों को जिंदा रखना

उन्हीं सब चिन्हों के साथ……. 

प्रीती गुप्ता

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