मानवता

मानवता गुण होना इंसान को सर्वोपरि बनाता है जो भी इसे अभिभूत करता है वह सूखता अनुभूति महसूस करता है ।

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 09 Sep, 2020 | 1 min read
#thepoetryblast

मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ,

जो करता आत्मसात मुझे

मैं करती व्यक्तितव का श्रृंगार

जिससे मानव सुसज्जित होता  

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

न पूछे जात -पात न जाने धर्म कोई 

वो तो सबको हृदय से  लगाकर

 करता सभी का दुख दर्द सही 

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है ।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

परोपकार ही मेरा कर्तव्य है

चाहे  मनुष्य हो या जीव

सब की सेवा करना ही धर्म है

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है ।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

जो मोल मेरा जाने वो 

हरि का प्यारा होता है 

वो सदा आशीष पाता

वो सही मायने में मानव कह लायेगा है।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

सबके मन में लौ जगानी है

मानवता का पाठ पढ़ाना है

जो भटक गये इसके पथ से

उन्हें रास्ता दिखाना है

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है ।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

बंद मुट्ठी आया जग में 

हाथ पसारे जायेंगा 

जो करेगा सत्कर्म जग में 

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है ।।


मैं मानवता हूँ मानव के हृदय में रहती हूँ 

क्या तेरा है ,क्या मेरा

सब यही रहें जायेंगा 

तेरा किया कार्य ही 

जग में नाम रोशन कर जायेंगा 

वो ही सही मायने में मानव कह लायेगा है ।।

प्रीती गुप्ता

स्वरचित

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Preeti Gupta

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