एक ऐसा जहाँ तलाशती मेरी ख़्वाहिशें ,,,
जहाँ बेटी की पैदाइश पर मनती हो खुशियाँ,
जहाँ समाज के हाथों कभी तिरस्कृत न हो,
जहाँ बाहें फैला कर करती ख़्वाहिशें पूरी ,
जहाँ पग -पग पर न देनी पड़े परीक्षा कोई,
जहाँ अबला समझ कर न करें उत्पीड़न कोई ,
जहाँ कन्या को देवी मान पूजते, न होता शोषण कहीं,
जहाँ फूलों की तरहां रखते ख्याल ,तो महकती बगिया,
जहाँ स्त्री को लक्ष्मी मान पूजते, न करता अपवित्र कोई,
जहाँ मिलता हो स्त्री को मान और सम्मान ।।
प्रीती गुप्ता
स्वरचित ✍
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
nice
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