Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 29 Jan, 2023 | 1 min read
Some more crimes
rashi sharma
rashi sharma 11 Dec, 2022 | 0 mins read

दरिया...................

दरिया और सैलाब खूबसूरत भी और तबाही भी.

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rashi sharma
rashi sharma 08 Dec, 2022 | 0 mins read

अब तक.....................

सबकी अपनी ज़ात है, सबकी अपनी सोच, कोई रखता है जोड़ कर हर याद, कोई फेंक देता है जैसे वो चीज़ है बेमोल.

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rashi sharma
rashi sharma 07 Dec, 2022 | 0 mins read

स्याही बिखेर कर..................

स्याही बिखेर कर बहुत कुछ कमा लिया, घर बनाया, दौलत कमाई, रूताबा हासिल किया, मगर खुद के एहसासों को मार दिया.

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rashi sharma
rashi sharma 06 Dec, 2022 | 1 min read

मैं वैसी ही हूँ..................

मैं वैसा ही हूँ.

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rashi sharma
rashi sharma 01 Dec, 2022 | 0 mins read

पल दो पल.................

समय तय है हर चीज़ का, वहम ना पाले कोई अमर होने का, खुद पर आ जाए तो वो क्या ना कर दें, इंसानों के अहम को हवा कर दें.

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rashi sharma
rashi sharma 26 Nov, 2022 | 1 min read

नज़रों का फर्क....................

आँखों में चकरा नहीं, सोच में है, कम्बख्त हम सोच पर पहरा नहीं लगाते, लेकिन नज़रों पर पर्दा गिरा देते है.

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