मैं बहुत कुछ हूँ..................

संगीत हूँ मैं................

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rashi sharma
rashi sharma 24 Dec, 2022 | 0 mins read

आवाज़ तो हूँ मगर शोर नहीं,

साज़ तो हूँ मगर नासाज़ नहीं,

दिमाग को शांत कर मैं सुकून की राह दिखाता हूँ,

मैं संगीत हूँ जो हर मिज़ाज में ढ़ल जाता हूँ,


कभी गज़ल हूँ तो कभी भजन हूँ मैं,

कभी गुरूबानी तो कभी सूफीनामा हूँ मैं,

कभी मधुरमय तो कभी तेज़ ट्रेक हूँ मैं,

कभी मस्तमौला तो कभी रूआसा हूँ मैं,

संगीत होकर भी मेरे कितने रंग है,

अब ऐ तुम पर है कि तुम्हारे किस रंग में शामिल हूँ मैं,


मै संगीत सब में समाया हुआ हूँ,

लहरों से लेकर हवा तक,

बादल के गर्जनने से लेकर बारिश के बरसने तक,

सबकी अपनी एक आवाज़ है,

कभी सुनाई देती है शांत ध्वनि तो कभी क्रोध में फट पड़ती,

इसकी आवाज़ हैं.




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