Shubhangani Sharma
22 Aug, 2022 | 1 min read
rashi sharma
06 Aug, 2022 | 1 min read
rashi sharma
02 Aug, 2022 | 1 min read
मैं और वो............
काश झगड़ा भी बच्चों वाला होता, एक मुस्कान या टाॅफी पर सुलझ गया होता.
0
0
284
rashi sharma
01 Aug, 2022 | 0 mins read
"क्या फर्क पड़ता है"
हो ना हो हमें पता है, पूरा तो नहीं पर थोड़ा तो पता है.
0
0
267
rashi sharma
31 Jul, 2022 | 0 mins read
"दहलीज़ को इंतज़ार"
खामोश चीज़े भी बात करती है, हमसे पूछों कितने सवालात करती है, ऊबने नहीं देती किसी को कभी, ना जाने कैसी - कैसी बात करती है.
0
0
274
rashi sharma
30 Jul, 2022 | 1 min read
गुज़रते दिन...............
सुबह होती है, शाम होती है, ज़िन्दगी यूँ ही तमाम होती है.
0
0
311
rashi sharma
28 Jul, 2022 | 0 mins read
ढ़लता सूरज.................
छुप गया वो भी हमसे परेशान हो कर, मद्धम पड़ गई उसकी रोशनी हमसे मिलकर, ना जाने क्यों सारी कायनात हमसे खफा हो गई, दुआ भी लगती है हमसे नाराज़ हो गई.
0
0
286
rashi sharma
27 Jul, 2022 | 0 mins read
जीने दो..................
हमने कब कहा कि हमें कोई चाहिए, किसी की नसीहत या फिर किसी की मदद चाहिए, रहने भी दो दिखावे कि ज़रूरत ही क्या है.
0
0
278