चीले देवता

बारिश में पकवान खाने वालों के लिए मज़ा और बनाने वालों के लिए सज़ा।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 22 Aug, 2022 | 1 min read
A Humourous tale

बारिश में... 

पानी चाहे कम हो या ज़्यादा...

बस सबको रहता है...

रसिका के रस का इरादा।।


रसिका की बात एक दफ़ा..

हमनें भी मान ली,

बेसन को घोल चीले बनाने की,

हमनें ठान ली।।


सारी व्यवस्थाएं लगा,

हम भी बहुत हर्षाये...

परिवार को एकत्रित कर...

हमनें चीले बनाये।।


पहले दौर में बच्चे,

दूसरे में बड़े निबटाये।

रसिका के लोभ ने हमसे..

बेतहाशा चीले बनवाये।।


हद तो तब थी जब यह दौर..

निरंतर चलता गया।

हमारी रसिका का यह देखकर ही,

मन भर गया।।


तौबा की हमनें चीले देवता की,

मैं और मेरी रसिका...

दाल रोटी खा कर ही निहाल हो गयी।।


शुभांगनी शर्मा

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Shubhangani Sharma

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