वो मंज़र अलग था, वो पल भी अलग था,
हम भी अलग थे, तुम्हारा होना भी अलग था,
अब ना वो बात रही और ना उस बात में वो बात रही,
ना वज़न रहा तुम्हारी चुप्पी में, ना मेरे बोलने में वो ज़ात रही,
बात खत्म होने की नहीं है, असल वजह तो दूरी की है,
अब बात साथ की भी नहीं, मन ना लगने की है,
आदत ने आदत को ही बदल दिया है,
अब दोनों की ही मौजूदगी ने एक - दूसरे को महसूस करना बंद कर दिया है.
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