इंतज़ार
सूरज की पहली किरण देखे,
ज़माना हुआ मुझे,
उजाले से दिल दूर,
जाने हुआ कबसे,
रातों को देर तक जागना,
बस आदत सी हो गई है मुझे,
चाँद से बातें करना,
जाने क्यों अच्छा लगता है मुझे?
शायद वो भी मेरी तरह तन्हा है,
इसलिए बस उसी का इंतज़ार रहता है मुझे!
Paperwiff
by ritikabawachopra