सीमा
है क्या सीमा मेरी, हो कौन तुम मुझे ये बताने वाले,
दिया किसने ये हक तुमको, हो कौन तुम मुझे मेरी मर्यादा बताने वाले।
खुद को बड़ा दिखाने को मुझसे कहते हो, दी इजाज़त तुम्हे अपने मन की करने को।
मगर ये तो बताओ दिया किसने हक तुम्हे, मुझे मेरा ही दायरा बताने को। तुमसे इजाज़त लेनी पड़े, ऐसा क्या खास है तुम में, ज़रा ये तो बताओ।
मर्द हो तुम! हां जानती हूं मैं, पर इतना काफ़ी है क्या ये बताओ। या फिर इसलिए डरते हो कि जिससे बचने के लिए तुम मेरी सीमा तय करना चाहते हो,
वो भी तुम्हारी तरह एक मर्द ही है, जिसकी सोच से तुम अच्छी तरह वाकिफ हो। अच्छा होगा अगर बदल सको तुम सोच अपने जैसों की, मुझे न मेरी सीमा बताओ,
सिर्फ मर्द नहीं, तुम भी कभी महापुरुष बनके दिखाओ।
Paperwiff
by ritikabawachopra