दर्द
वो क्या जाने दर्द का आलम,
जिनकी हर ख़ुशी है कायम,
वो क्या जाने बरसात की कहर,
जिनपर है सूरज की महर,
वो क्या जाने समुद्र की गहराई,
जिनकी नौका पार लग पाई,
दर्द में डूबा इंसान आंँसू छिपाने को बरसात की राह देखता है,
और ज़माना उसे बस बरसती बूंदों का मज़ा लेते हुए देखता है!
Paperwiff
by ritikabawachopra