Ritika Bawa Chopra
Ritika Bawa Chopra 14 Mar, 2021
दर्द
वो क्या जाने दर्द का आलम, जिनकी हर ख़ुशी है कायम, वो क्या जाने बरसात की कहर, जिनपर है सूरज की महर, वो क्या जाने समुद्र की गहराई, जिनकी नौका पार लग पाई, दर्द में डूबा इंसान आंँसू छिपाने को बरसात की राह देखता है, और ज़माना उसे बस बरसती बूंदों का मज़ा लेते हुए देखता है!

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by ritikabawachopra

14 Mar, 2021

दर्द

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