Ritika Bawa Chopra
14 Mar, 2021
एक ख़लिश
एक ख़लिश सी है तेरे बिन जीने में,
एक कसक सी रह गई तेरे यूँ चले जाने में,
वक़्त को मरहम कहने वाले क्या जाने,
दो काँटे भी होते हैं हर घड़ी में,
एक टीस सी तो रह ही जाती है वक़्त के भी गुज़र जाने में!
Paperwiff
by ritikabawachopra
14 Mar, 2021
एक ख़लिश
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