Dr. Pratik Prabhakar

Drpratikprabhakar

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प्रतीक प्रभाकर ने साहित्य के क्षेत्र में अपना पदार्पण बालकवि के रूप में किया था। हृदय से साहित्यानुरागीऔर कर्म से चिकित्सक नई रचनायें लिख रहे हैं। अब तक इनकी सौ से अधिक रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलन के अलावा यूट्यूब चैनल्स में हो चुका है। ये कई साहित्यिक एप्स और समूहों में सक्रिय हैं। भविष्य में भी इनकी रचनाओं का स्वागत है।

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Dr. Pratik Prabhakar 24 Sep, 2021 | 0 mins read

लक्ष्य साधें

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Dr. Pratik Prabhakar 22 Sep, 2021 | 1 min read

ए लव स्टोरी

आज भी उनके प्यार की खुशबू महसूस होती है।

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Dr. Pratik Prabhakar 22 Sep, 2021 | 1 min read

रश्में नूँ रंगदा

रश्में नूँ रंगडा चाहिदा

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Dr. Pratik Prabhakar 20 Sep, 2021 | 0 mins read

शुभरात्रि

रात होने को है

#Romance #Pp #Human

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Dr. Pratik Prabhakar 18 Sep, 2021 | 1 min read

वक़्त लगेगा

वक्त लगेगा

#Motivation

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Dr. Pratik Prabhakar 02 Sep, 2021 | 0 mins read

मिलना है

क्या तुम्हें मिलना है?

#Firstlove #Romance

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Dr. Pratik Prabhakar 27 Aug, 2021 | 1 min read

घरौंदा

1 "अरे, दूर जाकर खेलो तुमसब कुच्छो दिखाई नहीं देता क्या?" यह कहते हुए उसने दूर से दौड़ कर आते हुए लड़के को गुस्से से देखा। वो लड़के गिल्ली डंडा खेल रहे थे और गिल्ली आकार मिट्टी के ढेर में गिर गयी थी। यह थी खुशबु जो मिट्टी का घरौंदा बनाने में व्यस्त थी।मिट्टी का घरौंदा जिसका छत कूट से बना था और ऊपर जाने के लिए सीढ़ी भी बनायीं गयी थी। अरे रे रे ! धम्म। पप्पू का टायर लगा आकर घरौंदे से और टूट गया घरौंदा।पप्पू दस साल का था पर टायर घुमाने के अलावा कोई खेल नहीं खेलता था। निरा शैतान लड़का था। इधर खुशबू के आँखों से आँसूं छलक पड़े। एकाध घंटे मातम मनाने के बाद फिर घरौंदे का निर्माण शुरू हुआ। इस बार तैयार हो गया था और पिछली बार से मजबूत। 2 खुशबू के पिता रिक्शा चलाते थे और माँ पड़ोस के घरों में काम करती थी। फूस का घर था। जमीन पर सोते थे सभी। नियति उनकी मिट्टी -सी। मिट्टी पर जन्मे, मिट्टी पर रहे और आखिर में मिट्टी हो जाना है। कुछ दिनों बाद भूकंप आया। आसमान सुर्ख़ लाल, आँखों की पुतली लाल हो आता था सबका। फूस का घर गिर पड़ा। खुशुबू के माता पिता रो रहे थे ।सिर से साया उठ गया न । अब धूप की तपिश से, बरसात से, ठण्ड की मार से कौन बचाएगा। 3 पर खुशबू फिर भी खुश , क्यों?? उसका घरौंदा नहीं गिरा था न!घरौंदा अब भी टिका था। हाँ ,ये और बात है कि सीढ़ी में कुछ दरार आ गयी थी, जिसे मिट्टी के लेप से ठीक किया जा सकता था। कुछ दिनों बाद ख़ुशबू के माता पिता को आपदा आवास योजना के तहत आवास मिल गया। इस बार फूस के घर की जगह सीमेंट का छत था। बस कुछ अधिकारियों को कुछ खिलाना- पिलाना पड़ा। माँ के आँचल में लिपटी खुशबू ने पिता से घरौंदा न तोड़ने का आग्रह किया । पिता ने उसकी बात मान ली। खुशुबू का घरौंदा अब भी खड़ा था। नए सीमेंट के घर के दिवार से सटे, एक दम मजबूत।

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Dr. Pratik Prabhakar 15 Aug, 2021 | 1 min read

चाहिए आजादी

"सर एक झंडा ले लो न प्लीज" ट्रैफिक में फंसे , खीझे हुए रमेश के कार के पास एक बच्ची हाथ में कागज के कई झंडे लिए खड़ी थी। स्वतंत्रता दिवस और उसपर से लोगों के ऑफिस जाने की बाध्यता ने चौराहे पर जाम खड़ा कर दिया था।

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Dr. Pratik Prabhakar 14 Aug, 2021 | 0 mins read

यादों के पैसे

बताओ कैसे पाया जाए

#Romantic #Love #Romance

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Dr. Pratik Prabhakar 04 Aug, 2021 | 0 mins read

मेरा दिल धड़के

My heart will go on का हिंदी अनुवाद

#Life #Firstlove #Poem #Romantic

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