डा.अंजु लता सिंह गहलौत( Anju Lata Singh gahlot)

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नाम:-डा.अंजु लता सिंह गहलौत पिता:- डा.विजयपाल सिंह माता:- श्रीमती सरस्वती देवी सिंह पति- श्री देवेन्द्र सिंह गहलौत शिक्षा:- एम.ए,पी एच.डी,बी.एड विधा:-हिंदी साहित्य की गद्य विधाओं में-लघुकथा,संस्मरण, कहानी,नुक्कड़ नाटक,यात्रा-वर्णन,रूपक लेखन. पद्य विधा में-कविता,गीत,गजल,हाइकु,क्षणिकाएं, वर्ण- पिरामिड, तांका,माहिये लेखन. #प्रकाशित संग्रह:- 1."हिंदी के आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में स्व.फणीश्वरनाथरेणुका विशेष अध्ययन" शोध ग्रंथ (पुस्तकाकार) 2."काव्यांजलि "(कविता-संग्रह) 3."सारे जमीन पर" (कविता-संग्रह) 4."महकता हरसिंगार"(लघुकथा-संग्रह) दो पुस्तकें( प्रकाशनाधीन("पथ पर चलते चलते"एवं "अपने आसपास") * "सफर में धूप तो होगी"साझा संग्रह में "नीम का पेड़" एवं "गरमाहट "लघुकथा प्रकाशित. *अमर उजाला पत्रिका"रूपायन " में क्रमश: "ग्रीन मार्क" एवं अन्नपूर्णा" लघुकथाएं प्रकाशित. *"अनुभव"(हिंदी डाॅट काॅम की मासिक पत्रिका) में "जान है तो जहान है" #समाचार पत्र- हरियाणा प्रदीप में प्रकाशित लघुकथा "कर्फ्यू" "तर्कसंग्रह",इंदौर पत्रिका में प्रकाशित लघुकथा "कशमकश"( पुरस्कृत लघुकथा) "सेतु"पिट्सबर्ग से एवं "वसुधा"केनेडा से प्रकाशित पत्रिकाओं में प्रकाशन. "अविचल प्रभा "में प्रकाशन. "समाज्ञा"(कलकत्ता से प्रकाशित )पत्रिका में क्रमशः आदम खुदा नहीं , असली मददगार कौन लघुकथाएं प्रकाशित. "अंतरा शब्द शक्ति" में "उसकी पहचान" लघुकथा प्रकाशित. "आगाज" फेसबुक साहित्यिक मंच की लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में "सम्बन्ध" लघुकथा पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त. "नया लेखन:नए दस्तखत"फेसबुक साहित्यिक मंचपर लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में "पूजा" लघुकथा पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त. प्रतिलिपि पर लगभग 85 लघुकथाएं प्रकाशित. "लघुकथा के परिन्दें" पर अभी तक एक सौ आठ लघुकथाएं प्रकाशित. सोपान,आगाज,लघुकथा के रंग,साहित्य सागर,साहित्य अर्पण, साहित्य संगम,आगमन,पाखी,सेतु,उत्कर्ष, स्टोरी मिरर,दस लाइन स्टोरी,हिंदी डाॅट काॅम जैसे मंचों पर लघुकथा लेखन में सक्रिय. साहित्य अर्पण, ममतामयी तापसियां, पर्पल पेन,लघुकथा के रंग,आरिणी साहित्यिक मंच,प्रेणा दर्पण आदि मंचों पर भी लघुकथा णलेखन में सक्रिय. #संपादन- अध्यापन के दौरान लगातार सन् 1995 से2017 तक केंद्रीय विद्यालय संगठन की विद्यालय पत्रिका के संपादन कार्य में सक्रिय. कक्षा बारहवीं हेतु अध्ययन सामग्री पुस्तक का लेखन एवं संपादन संपूर्ण कार्यभार वहन राजभाषा समिति,फरीदाबाद की पत्रिका "नगर सौरभ","नई दिशाएं "में निरंतर लेखन. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की लेख संग्रह पुस्तक-2014 में दो दीर्घकाय लेख प्रकाशित. #संप्रति:- विभिन्न संस्था में पद- "राष्ट्रीय महिला काव्य मंच"की दक्षिणी दिल्ली इकाई में अध्यक्ष पद पर सक्रिय रही. निजी पंजीकृत गैर सरकारी संस्था "प्रतिभा विकास मिशन" की मुख्य संचालिका. #ई-मेल - anjusinghgahlot@gmail.com ------------ #डाक का पता/पोस्टल एड्रेस- सी-211,212,वैस्टैंड मार्ग,पर्यावरण काम्प्लैक्स,समीपस्थ गार्डन ऑफ फाइव सैंसेज,सैदुलाजाब, नई दिल्ली-30 ----------------- ?? *पिता का नाम- डा.विजयपाल सिंह (सेवानिवृत्त प्राचार्य) *माता का नाम-सरस्वती देवी सिंह *शिक्षा-एम.ए, पी एच.डी (हिंदी)/बी.एड *अनुभव-चौंतीस (2+ 32) वर्षों का हिंदी व्याख्याता पद पर अध्यापनानुभव क्रमशः हरि सिंह गौर वि.वि.,सागर,म.प्र. में दो वर्ष एवं शेष केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली में. *चार बैस्ट टीचर्स अवार्ड्स से सम्मानित. *बस्तर जिला युवा समिति ,जगदलपुर द्वारा आपात्काल में "अनुशासन पर्व"विषय पर अंतरजिलास्तरीय निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित. *केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा कारगिल विजय पर रचित नाटिका 'उजाले की ओर' पर पुरस्कृत एवं सम्मानित. *राजभाषा समिति,भारत सरकार द्वारा राजभाषा शील्ड से सम्मानित. *साहित्य लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यास पुरस्कार से सम्मानित. *प्रकाशन- गद्य विधाओं में-लघुकथा,संस्मरण, कहानी,नुक्कड़ नाटक,यात्रा-वर्णन,रूपक,लेख,निबंध,पत्र लेखन आदि. *पद्य विधाओं में-कविता,गीत,गजल,हाइकु,क्षणिकाएं, वर्ण- पिरामिड, तांका,माहिये एवं त्रिवेणी लेखन आदि. *प्रकाशित संग्रह:- *चार पुस्तकें प्रकाशित. 1.शोध प्रबंध-"आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में फणीश्वरनाथरेणु का विशेष अध्ययन"-2004, सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली 2."काव्यांजलि",प्रेरक कविता संग्रह-2010,सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली 3."सारे जमीं पर"बाल कविता संग्रह-2016,सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क, दिल्ली. 4."महकता हरसिंगार" (लघुकथा संग्रह) अयन प्रकाशन- 2021,महरौली,नई दिल्ली. *दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन. 1.विज्ञान यान पर 2.नुक्कड़ नाटक दो लघुकथा संग्रह प्रकाशनाधीन ( "पथ पर चलते चलते"एवं "अपने आसपास" शीर्षक से) देश,विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 2018 रचनाएं प्रकाशित. *जल मंत्रालय,भारत सरकार,दिल्ली द्वारा स्वरचित नाटिका"बिन पानी सब सून" के लेखन और मंचन हेतु पुरस्कृत एवं सम्मानित (2015) *मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वार्षिक द्विभाषी पत्रिका "शिक्षायण" में दो दीर्घकाय लेख प्रकाशित एवं सम्मानित . * नगर राजभाषा समिति,फरीदाबाद की पत्रिका "नगर सौरभ" में सात बार रचना- प्रकाशन पर सम्मान पत्र प्राप्त. साझा संकलनों में प्रकाशन - *अनेक साझा- संकलनों में क्रमशः "जागो अभया" में कविताएं, "सागर के मोती"में वर्ण पिरामिड,"सीप में मोती"में हाइकू,"लघु की विराटता" में लघुकथाएं, "सृजन पथ" में गीत,"नमन माता पिता"में संस्मरण,"सफर में धूप तो होगी"साझा संग्रह में "नीम का पेड़" एवं "गरमाहट "लघुकथाएं प्रकाशित. अनेक साझा-संकलनों में रचनाएं प्रकाशनाधीन. *मासिक/साप्ताहिक पत्रिकाओं में प्रकाशन - *अमर उजाला की पत्रिका "रूपायन " में क्रमश: "ग्रीन मार्क", अन्नपूर्णा" लघुकथाएं एवं अनेक कविताएं प्रकाशित. *"अनुभव" मासिक पत्रिका में अनेक रचनाएं प्रकाशित. *"हरियाणा प्रदीप" में लगभग अस्सी रचनाएं प्रकाशित. *"तर्कसंग्रह",इंदौर से प्रकाशित पत्रिका में पुरस्कृत लघुकथा "कशमकश"प्रकाशित. *पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित "सेतु "एवं केनेडा से प्रकाशित *"वसुधा"तथा आस्ट्रेलिया की "सृजन पथ"में रचनाएं प्रकाशित. पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित. *"अविचल प्रभा "में प्रकाशन. *"समाज्ञा",कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका में क्रमशः 'आदम खुदा नहीं ', 'असली मददगार कौन'लघुकथाएं प्रकाशित. *अंतरा शब्द शक्ति" पत्रिका में "उसकी पहचान" , "आगाज" में "पूजा" एवं"सोपान" में सम्बन्ध" शीर्षक लघुकथाओं पर क्रमशःप्रथम पुरस्कार प्राप्त. *"प्रतिलिपि" पर अब तक लगभग 355 रचनाएं प्रकाशित. *लघुकथा के परिन्दे' मंच पर अभी तक एक सौ आठ लघुकथाएं प्रकाशित. *ऑनलाइन लेखन में निरंतर सक्रिय. *'साहित्य अर्पण'मंच,दुबई में निर्णायक पद पर सक्रिय . *संपादन- अध्यापन के दौरान लगातार सन् 1995 से2017 तक केंद्रीय विद्यालय संगठन की विद्यालय पत्रिकाओं के संपादन कार्य में निरन्तर सक्रिय. *कक्षा बारहवीं हेतु हिंदी अध्ययन सामग्री का तीन वर्ष क्रमशः लेखन ,संपादन एवं समन्वयिका का संपूर्ण कार्यभार वहन. *संप्रति- गैर सरकारी समाज सेवी संस्था "प्रतिभा विकास मिशन" की मुख्य संचालिका पद पर कार्यरत. * अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच (रजि.) दक्षिणी दिल्ली इकाई की वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर सक्रिय. पत्र व्यवहार हेतु पता- डा.अंजु लता सिंह द्वारा/ श्री देवेन्द्र सिंह गहलौत सी-211,212 पर्यावरण काम्प्लैक्स समीपस्थ गार्डन ऑफ फाइव सैंसेज,वैस्ट एंड मार्ग, सैदुलाजाब नई दिल्ली-30 ई-मेल anjusinghgahlot@gmail.com Anju Lata Singh: Ph.no.9868176767

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आता सालःजाता साल
स्वरचित कविता शीर्षक-"आता साल:जाता साल" आते साल का करते हैं हम स्वागत खुशनुमा लगता है सदा ही नवागत जाते हुए को विदा करके खाली हो जाते हैं हाथ तन-मन से लिपटी रह जाती हैं ढेर सारी बात खट्टी-मीठी,दु:खद- सुखद तरह-तरह की यादें टूट गया माला का मोती कहाँ करें फरियादें किलकारियों से चहकता था आंगन खुशबू खुशी की महकता था जीवन आंखों का पानी अविरल बहाना टूटा सुखों का मेरा आशियाना कठिन वक्त था बड़ा, गुजरा गमी में सूखी है बगिया दुखों की नमी में मेरे आसमां की वो नन्ही परी न जाने कहाँ बादलों में गिरी लौटा दो मुझे ,है फरिश्ता अकेला जमीं पर लगा दो फिर खुशियों का मेला दुआ मांगती हूं मैं रब से सदा सुखों से न करना किसी को जुदा विगत वर्ष से मैं लगाऊं गुहार बिगड़ी बनाना,सुनना पुकार जाते हुए दिन महीनों के पल तन-मन को करके गए हैं विकल जीवन-समर में करेंगे संघर्ष पक्का यकीं है छुएंगे हम अर्श लेखन की दुनिया में रखना मशगूल फूलों से सुख देना चुभाना न शूल रचनाकार- डा. अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली

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आता सालःजाता साल(Reel)

26 Dec, 2023
Story prompt-6
Story Prompt -6 perwiff"रंग-बिरंगे फूल" बचपन से हीअनु को फूलों से बेहद प्यार था.स्कूल से लौटती बार अपनी सहेली के घर के गेट से झांकते हुए रंग-बिरंगे गुलाबों को देखकर वह रोज ही मचल जाती. रोज डे के दिन वह खुद को रोक नहीं पाई. स्कूल से लौटते हुए दोपहर के सन्नाटे में चौकन्नी होकर उसने गेट पर चढ़कर झट से लाल-गुलाबी फूलों का गुच्छा तोड़ा और त्वरित गति से बस्ते की जेब में ठूंस लिया, लेकिन तभी अचानक आहट सुनकर मोटा डंडा लेकर मालकिन आ गई, और उसकी नाजुक हथेलियां पर जोर से दे मारा. सप्ताह भर की सूजन की पीड़ा भी उसके पुष्प- प्रेम को कम नहीं कर सकी थी. आज उसकी मंगनी है. मंगेतर का फूलों का शोरूम है. उसका तन-मन भावी सपनों को लेकर महक रहा है. रचनाकार- डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली

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फूल गुलाब के

13 Feb, 2024
Picture prompt-6
Picture prompt-६ “रंग-बिरंगे फूल" बचपन से हीअनु को फूलों से बेहद प्यार था.अपनी सहेली के घर के गेट से झांकते हुए रंग-बिरंगे गुलाबों को देखकर वह रोज ही ललचाती. रोज डे पर वह खुद को रोक नहीं सकी.स्कूल से लौटते हुए दोपहर के सन्नाटे में चौकन्नी होकर उसने गेट पर चढ़कर झट से लाल-गुलाबी फूलों का गुच्छा तोड़ लिया,आहट सुनकर अचानक डंडा लिये मालकिन आई और उसकी नाजुक हथेली पर ज़ोर से मारा,लेकिन असह्य पीड़ा उसके पुष्प- प्रेम को कम नहीं कर सकी. आज उसकी मंगनी है. मंगेतर का फूलों का शोरूम है. उसका तन-मन भावी सपनों को लेकर महक रहा है. रचनाकार- डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली

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लघुकथा -“रंग बिरंगे फूल”

14 Feb, 2024
"पालक,पति और संतति"
picture prompt-17 स्वरचित लघु कथा शीर्षक- "पालक,पति और संतति" दिल का दौरा पड़ने पर पति कमल जी के अचानक चले जाने के काफी समय बाद आज नीला ने स्टोर के कोने में पड़े जंग खाए हुए फव्वारे को खींचकर बाहर निकाला और धो-पोंछ कर टैरेस-गार्डन के पौधों की देखभाल कर उन्हें सींचा. गमलों में पालक लहलहा रहा था. -इस बार बेटा इटली से आएगा,तो ताजा पालक से उसकी पसंद के व्यंजन बनाकर उसे खिलाएंगे. पालक के बीज बोते हुए कमल प्रमुदित होकर कह रहे थे. मानसिक बीमारी से ग्रस्त,संतति-मोह से घिरी नीला भूल चुकी थी,कि कोरोना के कहर ने उनके इकलौते बेटे को कबका छीन लिया था. _____ स्वरचित डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

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22 Feb, 2024