Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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मेरा संक्षिप्त परिचय *डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम' *पिता का नाम- डा.विजयपाल सिंह (सेवानिवृत्त प्राचार्य) *माता का नाम-सरस्वती देवी सिंह *शिक्षा-एम.ए, पी एच.डी (हिंदी)/बी.एड *अनुभव-चौंतीस (2+ 32) वर्षों का हिंदी व्याख्याता पद पर अध्यापनानुभव क्रमशः हरि सिंह गौर वि.वि.,सागर,म.प्र. में दो वर्ष एवं शेष केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली में. *चार बैस्ट टीचर्स अवार्ड्स से सम्मानित. *बस्तर जिला युवा समिति ,जगदलपुर द्वारा आपात्काल में "अनुशासन पर्व"विषय पर अंतरजिलास्तरीय निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित. *केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा कारगिल विजय पर रचित नाटिका 'उजाले की ओर' पर पुरस्कृत एवं सम्मानित. *राजभाषा समिति,भारत सरकार द्वारा राजभाषा शील्ड से सम्मानित. *साहित्य लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यास पुरस्कार से सम्मानित. *प्रकाशन- गद्य विधाओं में-लघुकथा,संस्मरण, कहानी,नुक्कड़ नाटक,यात्रा-वर्णन,रूपक,लेख,निबंध,पत्र लेखन आदि. *पद्य विधाओं में-कविता,गीत,गजल,हाइकु,क्षणिकाएं, वर्ण- पिरामिड, तांका,माहिये एवं त्रिवेणी लेखन आदि. *प्रकाशित संग्रह:- *चार पुस्तकें प्रकाशित. 1.शोध प्रबंध-"आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में फणीश्वरनाथरेणु का विशेष अध्ययन"-2004, सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली 2."काव्यांजलि",प्रेरक कविता संग्रह-2010,सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली 3."सारे जमीं पर"बाल कविता संग्रह-2016,सूर्यभारती प्रकाशन,नई सड़क, दिल्ली. 4."महकता हरसिंगार" (लघुकथा संग्रह) अयन प्रकाशन- 2021,महरौली,नई दिल्ली. *दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन. 1.विज्ञान यान पर 2.नुक्कड़ नाटक दो लघुकथा संग्रह प्रकाशनाधीन ( "पथ पर चलते चलते"एवं "अपने आसपास" शीर्षक से) देश,विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 2018 रचनाएं प्रकाशित. *जल मंत्रालय,भारत सरकार,दिल्ली द्वारा स्वरचित नाटिका"बिन पानी सब सून" के लेखन और मंचन हेतु पुरस्कृत एवं सम्मानित (2015) *मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वार्षिक द्विभाषी पत्रिका "शिक्षायण" में दो दीर्घकाय लेख प्रकाशित एवं सम्मानित . * नगर राजभाषा समिति,फरीदाबाद की पत्रिका "नगर सौरभ" में सात बार रचना- प्रकाशन पर सम्मान पत्र प्राप्त. साझा संकलनों में प्रकाशन - *अनेक साझा- संकलनों में क्रमशः "जागो अभया" में कविताएं, "सागर के मोती"में वर्ण पिरामिड,"सीप में मोती"में हाइकू,"लघु की विराटता" में लघुकथाएं, "सृजन पथ" में गीत,"नमन माता पिता"में संस्मरण,"सफर में धूप तो होगी"साझा संग्रह में "नीम का पेड़" एवं "गरमाहट "लघुकथाएं प्रकाशित. अनेक साझा-संकलनों में रचनाएं प्रकाशनाधीन. *मासिक/साप्ताहिक पत्रिकाओं में प्रकाशन - *अमर उजाला की पत्रिका "रूपायन " में क्रमश: "ग्रीन मार्क", अन्नपूर्णा" लघुकथाएं एवं अनेक कविताएं प्रकाशित. *"अनुभव" मासिक पत्रिका में अनेक रचनाएं प्रकाशित. *"हरियाणा प्रदीप" में लगभग अस्सी रचनाएं प्रकाशित. *"तर्कसंग्रह",इंदौर से प्रकाशित पत्रिका में पुरस्कृत लघुकथा "कशमकश"प्रकाशित. *पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित "सेतु "एवं केनेडा से प्रकाशित *"वसुधा"तथा आस्ट्रेलिया की "सृजन पथ"में रचनाएं प्रकाशित. पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित. *"अविचल प्रभा "में प्रकाशन. *"समाज्ञा",कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका में क्रमशः 'आदम खुदा नहीं ', 'असली मददगार कौन'लघुकथाएं प्रकाशित. *अंतरा शब्द शक्ति" पत्रिका में "उसकी पहचान" , "आगाज" में "पूजा" एवं"सोपान" में सम्बन्ध" शीर्षक लघुकथाओं पर क्रमशःप्रथम पुरस्कार प्राप्त. *"प्रतिलिपि" पर अब तक लगभग 355 रचनाएं प्रकाशित. *लघुकथा के परिन्दे' मंच पर अभी तक एक सौ आठ लघुकथाएं प्रकाशित. *ऑनलाइन लेखन में निरंतर सक्रिय. *'साहित्य अर्पण'मंच,दुबई में निर्णायक पद पर सक्रिय . *संपादन- अध्यापन के दौरान लगातार सन् 1995 से2017 तक केंद्रीय विद्यालय संगठन की विद्यालय पत्रिकाओं के संपादन कार्य में निरन्तर सक्रिय. *कक्षा बारहवीं हेतु हिंदी अध्ययन सामग्री का तीन वर्ष क्रमशः लेखन ,संपादन एवं समन्वयिका का संपूर्ण कार्यभार वहन. *संप्रति- गैर सरकारी समाज सेवी संस्था "प्रतिभा विकास मिशन" की मुख्य संचालिका पद पर कार्यरत. * अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच (रजि.) दक्षिणी दिल्ली इकाई की वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर सक्रिय. पत्र व्यवहार हेतु पता- डा.अंजु लता सिंह द्वारा/ श्री देवेन्द्र सिंह गहलौत सी-211,212 पर्यावरण काम्प्लैक्स समीपस्थ गार्डन ऑफ फाइव सैंसेज,वैस्ट एंड मार्ग, सैदुलाजाब नई दिल्ली-30 ई-मेल anjusinghgahlot@gmail.com Anju Lata Singh: Ph.no.9868176767

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हमरा तिरंगा
१४.८.२०२४ "देशभक्ति गीत" स्वरचित, मौलिक,सर्वथा अप्रकाशित देशभक्ति गीत--- हमरा तिरंगा... हमरा तिरंगा गगन में लहराए रे हमरा तिरंगा..हमरा तिरंगा इस झंडे में तीन रंग साजें जी तीन रंग साजैं.. सब रंग महिमा से भरके बिराजैं.. जी भरके बिराजैं.. इसपे मनवा भी वारि-वारि जाए रे.. हमरा तिरंगा .........लहराए रे हमरा तिरंगा भगवा रंग कहे वीरों की गाथा जी वीरों की गाथा सबहि नवाएं उनको जी माथा हां उनको जी माथा .. देस की खातिर प्रानों को लुटवाएं रे.. हमरा तिरंगा..........लहराए रे हमरा तिरंगा रंग सफेद का सबसे ही नाता जी सबसे ही नाता.. मिलके रहो ये संदेसा सुनाता संदेसा सुनाता.. मन का कबूतर चिहुंके उड़ा जाए रे.. हमरा तिरंगा..........लहराए रे हमरा तिरंगा ... खेतों में सबके ही झूमे हरियाली जी झूमे हरियाली.. झोली रहे ना किसी की भी खाली.. किसी की भी खाली.. ये हरा रंग हमें जतलाए रे हमरा तिरंगा ........लहराए रे हमरा तिरंगा चक्र बना बीच हौले से बोले जी हौले से बोले.. चौबीसों घंटे चलो मेरे भोले चलो मेरे भोले.. चलना होगा समय न निकल जाए रे.. हमरा तिरंगा ........लहराए रे हमरा तिरंगा ------ -स्वरचित देशभक्ति गीत (कॉपीराइट )

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by anjugahlot

तिरंगा

14 Aug, 2024
राष्ट्र-तिरंगा
शीर्षक-“राष्ट्र तिरंगा” राष्ट्र-तिरंगा आन बान और शान है मेरी- देश मेरे तुझ पर ये जां कुर्बान है मेरी, भारत की पावन माटी महके ज्यों चंदन- आज़ादी के पुण्य-पर्व पर गूंजे रणभेरी. तीन रंग के इस झंडे पर जाऊं मैंबलिहारी- केसरिया,सफेद औरहराशोभा अति न्यारी, नीला चक्र सुसज्जित है बीचों-बीच यहाँ- शीश झुकाते इसे सभी बालक,नर,नारी. अमर शहीदों की गाथा कहताहैभगवा रंग- कभी भूल न पाएंगे हम आजादी की जंग, सर पर बांध कफन शत्रु को हंसते-हंसते प्राण दिये होकर मस्त मलंग. पावन श्वेत रंग शांति का संदेसा लाता है- मिलकर रहें देशप्रेमी हमको समझाता है, अनेकता में एकता का लक्ष्य बता हमको करे समाहित ख़ुद में सारे रंग,अपनाता है. हरा रंग खुशहाली का है,बाग-बाग मन हो जाता- धानी चूनर ओढ़े धरती,देख गगन भी इठलाता, कृषक अन्नदाता कहलाता,जग का पेट वही भरता- हरित-क्रांति का परिवेश हर भूमिपुत्र को भाता. नील-वर्ण का चक्र सजीला,बना हुआ है ध्वज के बीच- चौबीस तीली दिखतीं इसमें,घंटे गिनों नयन दो भींच, जीवन है गतिमान कहे यह,चलते रहना आठों याम- रुकना झुकना नहीं कभी भी, पत्थर की लकीर लो खींच. मेरे विश्व गुरु भारत का गजब तिरंगा फहरे गर्वित उच्च हिमालय,भू पर बहें गंग की लहरें नमन करें हम इस झंडे को, इसमें बसती सबकी जान जब तक यह लहराता दीखे, तन मन रहता बिल्कुल चंगा, ________

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राष्ट्र-तिरंगा

20 Aug, 2024
राष्ट्र-तिरंगा
शीर्षक-“राष्ट्र तिरंगा” राष्ट्र-तिरंगा आन बान और शान है मेरी- देश मेरे तुझ पर ये जां कुर्बान है मेरी, भारत की पावन माटी महके ज्यों चंदन- आज़ादी के पुण्य-पर्व पर गूंजे रणभेरी. तीन रंग के इस झंडे पर जाऊं मैंबलिहारी- केसरिया,सफेद औरहराशोभा अति न्यारी, नीला चक्र सुसज्जित है बीचों-बीच यहाँ- शीश झुकाते इसे सभी बालक,नर,नारी. अमर शहीदों की गाथा कहताहैभगवा रंग- कभी भूल न पाएंगे हम आजादी की जंग, सर पर बांध कफन शत्रु को हंसते-हंसते प्राण दिये होकर मस्त मलंग. पावन श्वेत रंग शांति का संदेसा लाता है- मिलकर रहें देशप्रेमी हमको समझाता है, अनेकता में एकता का लक्ष्य बता हमको करे समाहित ख़ुद में सारे रंग,अपनाता है. हरा रंग खुशहाली का है,बाग-बाग मन हो जाता- धानी चूनर ओढ़े धरती,देख गगन भी इठलाता, कृषक अन्नदाता कहलाता,जग का पेट वही भरता- हरित-क्रांति का परिवेश हर भूमिपुत्र को भाता. नील-वर्ण का चक्र सजीला,बना हुआ है ध्वज के बीच- चौबीस तीली दिखतीं इसमें,घंटे गिनों नयन दो भींच, जीवन है गतिमान कहे यह,चलते रहना आठों याम- रुकना झुकना नहीं कभी भी, पत्थर की लकीर लो खींच. मेरे विश्व गुरु भारत का गजब तिरंगा फहरे गर्वित उच्च हिमालय,भू पर बहें गंग की लहरें नमन करें हम इस झंडे को, इसमें बसती सबकी जान जब तक यह लहराता दीखे, तन मन रहता बिल्कुल चंगा, ________

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राष्ट्र तिरंगा

20 Aug, 2024