विस्तृत
“विस्तृत” सिर पर सबके विस्तृत आकाश,तान दिया तूने ऐ काश- चंदा,सूरज,तारे अनंत,पवन,जलद,अद्भुत प्रकाश, तेरी रहमत है दूर तलक,रच दिया यह सुगढ़ संसार- भू पर पुनीत-प्रेम से हम मानवता का नित करें विस्तार.

Paperwiff

by anjugahlot

24 Jul, 2024

विस्तृत

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