Aman G Mishra
Aman G Mishra 10 Aug, 2019 | 0 mins read
रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन एक त्यौहार जिसमे बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बाँधती हैं, और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। हिन्दू धर्म का ये पवित्रतम त्यौहार हमें एक पवित्र रिश्ते में जोड़ता है। अतः न सिर्फ हिन्दू धर्म में बल्कि सभी धर्मों में यह त्यौहार मनाया जाना चाहिये,क्योकि भाई और बहन का प्यार किसी मजहब विशेष का मोहताज नही होता। इसीलिए ये रिश्ता पवित्रतम् माना जाता है। जिस तरह भाई अपनी बहन को उसकी सुरक्षा का वादा करते हैं, मैं सभी बहनों से आग्रह करता हूँ कि वो भी अपने भाई को उसकी रक्षा का वादा करें, ये वादा अपने भाई को नशे, कुसंगति, और कुमार्ग पर चलने रोकने का होना चाहिए। बहन अगर अपने भाई से बदले में ये वादा लें कि वो इन गलत रास्तो में नही चलेगा,तो इस तरह से बहन अपने भाई की ज़िंदगी बदल सकती हैं।

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 10 Aug, 2019 | 0 mins read
रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन एक त्यौहार जिसमे बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बाँधती हैं, और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। हिन्दू धर्म का ये पवित्रतम त्यौहार हमें एक पवित्र रिश्ते में जोड़ता है। अतः न सिर्फ हिन्दू धर्म में बल्कि सभी धर्मों में यह त्यौहार मनाया जाना चाहिये,क्योकि भाई और बहन का प्यार किसी मजहब विशेष का मोहताज नही होता। इसीलिए ये रिश्ता पवित्रतम् माना जाता है। जिस तरह भाई अपनी बहन को उसकी सुरक्षा का वादा करते हैं, मैं सभी बहनों से आग्रह करता हूँ कि वो भी अपने भाई को उसकी रक्षा का वादा करें, ये वादा अपने भाई को नशे, कुसंगति, और कुमार्ग पर चलने रोकने का होना चाहिए। बहन अगर अपने भाई से बदले में ये वादा लें कि वो इन गलत रास्तो में नही चलेगा,तो इस तरह से बहन अपने भाई की ज़िंदगी बदल सकती हैं।

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Hari
Hari 10 Aug, 2019 | 1 min read
Saving

Saving

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

आध्यात्मवाद

आध्यात्मवाद:- "अहं ब्रह्माष्मि" मैं ब्रह्म हूँ, अतः मैं रचना कर सकता हूँ। जब मैं स्वयं रचना करने योग्य हूँ, फिर क्यों स्वयं के अस्तित्व को भूल जाता हूँ और बाहरी दुनिया के आकर्षण और चकाचौंध में ग़ुम हो जाता हूँ। आध्यात्म अर्थात 'आत्म' का अध्ययन या स्वयं का अध्ययन। वेदों में भी कहा गया है कि सम्पूर्ण ज्ञान स्वयं में ही समाहित है, सिर्फ जरूरत है तो उसके तलाश की। जितने भी आध्यात्मिक पुरुष हुए हैं चाहे बुद्ध, गांधी,विवेकानंद, ईशा, या मुहम्मद सब को तत्वज्ञान अंतः से ही हुआ। इसका मतलब ये नही होता कि हम बाहरी दुनिया से वैराग्य कर ले, बल्कि स्वयं के आध्यात्मिक प्रकाश से सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करें। इस दायित्व का निर्वाह करें। - अमन मिश्रा

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

मन का नियंत्रण

मन को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है। आज प्रत्येक व्यक्ति की समस्या है कि मन हमेशा भटकता रहता है, मन नही लगता, या मन दुखी सा रहता है। कई लोग कोशिश करते हैं कि मन को नियंत्रित कैसे करें! पर वो मन को नियंत्रित करने का व्यर्थ ही प्रयास करते हैं। इस विषय में गीता में भगवान समझाते हैं कि मन इतना चंचल है कि इसे रोकना असम्भव है और इसकी गति को रोकने का व्यर्थ प्रयास भी नही करना चाहिए।ये और दुष्परिणाम कारक हो सकता है। फिर करें क्या! मन हमारे शरीर रूपी वाहन का सारथी समान है। अतः मन को रोकने की नही उचित दिशा दिखाने की आवश्यकता होती है। गीता में एक श्लोक का अर्थ है कि इंद्रियों को मन के द्वारा, मन को बुद्धि के द्वारा, बुद्धि को आत्मा के द्वारा, और आत्मा को परमब्रह्म परमेश्वर के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए। इसलिए अपनी आत्मा को परमात्मा को सौप दें तो सारी व्यथा स्वतः ही समाप्त हो जाये। - अमन मिश्रा

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

स्वयं-सुधार

जूझ रहा हूँ, कुछ सूझ रहा हूँ, हर-पल एक पहेली बूझ रहा हूँ। अब हर पहेली का, हल निकाल डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। लड़ता रहा,झगड़ता रहा, खुद से,खुद को मिटाता रहा। अब हरेक गलती को,जड़ से मिटा डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। जमाने की सुनता रहा, खुद को ताने बुनता रहा। अब मैं खुद की सुनूंगा, और यही ठानूंगा, अब हार नही मानूंगा।। गलतियां पे गलतियां करता रहा, अपनी हार पर,खुद को हारता रहा। अब कुछ भी हो,मैं खुद को ही सुधारूँगा, अब हार नही मानूंगा।। अपने वजूद पर तरस आपने लगी थी , आईने के सामने शरम आने लगी थी। अपना वो चेहरा,अब खुद को नही दिखाऊंगा, अब हार नही मानूँगा।। पल -पल की कीमत पहचानूंगा, खुद की ज़ीनत ,अब बचाऊंगा। अब तक जो भी किया,सब भूल कर, एक नई जिंदगी मैं पाऊँगा।। अब हार नही मानूँगा। अब हार नही मानूँगा।। ©aman_g_mishra

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Kiran
Kiran 28 Jul, 2019 | 1 min read
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Kiran
Kiran 26 Jul, 2019 | 1 min read
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Hari
Hari 25 Jul, 2019 | 1 min read
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