मन को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है।
आज प्रत्येक व्यक्ति की समस्या है कि मन हमेशा भटकता रहता है, मन नही लगता, या मन दुखी सा रहता है। कई लोग कोशिश करते हैं कि मन को नियंत्रित कैसे करें! पर वो मन को नियंत्रित करने का व्यर्थ ही प्रयास करते हैं। इस विषय में गीता में भगवान समझाते हैं कि मन इतना चंचल है कि इसे रोकना असम्भव है और इसकी गति को रोकने का व्यर्थ प्रयास भी नही करना चाहिए।ये और दुष्परिणाम कारक हो सकता है।
फिर करें क्या! मन हमारे शरीर रूपी वाहन का सारथी समान है। अतः मन को रोकने की नही उचित दिशा दिखाने की आवश्यकता होती है।
गीता में एक श्लोक का अर्थ है कि इंद्रियों को मन के द्वारा, मन को बुद्धि के द्वारा, बुद्धि को आत्मा के द्वारा, और आत्मा को परमब्रह्म परमेश्वर के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए। इसलिए अपनी आत्मा को परमात्मा को सौप दें तो सारी व्यथा स्वतः ही समाप्त हो जाये।
- अमन मिश्रा
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