fazal Esaf
fazal Esaf 02 Jun, 2025 | 1 min read
एक मुस्लिम गरीब लड़के की कहानी जो पढ़ना चाहता है

एक मुस्लिम गरीब लड़के की कहानी जो पढ़ना चाहता है

यह कहानी रहीम नाम के एक गरीब और मेहनती मुस्लिम लड़के की है, जिसके जीवन में कम उम्र में ही मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है। जब वह सिर्फ तीन साल का था, तभी उसके अब्बा का इंतकाल हो जाता है, और घर की सारी ज़िम्मेदारी उसकी अम्मी, सकीना, पर आ जाती है। सकीना दूसरों के घरों में मेड का काम करती है, लेकिन उसकी कमाई इतनी कम होती है कि दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती है, और रहीम को स्कूल भेजने का सपना अधूरा रह जाता है। इसके बावजूद, रहीम के अंदर पढ़ने की गहरी लगन है। उसकी आँखें ज्ञान की दुनिया को देखने का सपना देखती हैं और वह अपनी अम्मी को गरीबी और दूसरों के घरों में काम करने की मजबूरी से आज़ाद कराना चाहता है। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए, रहीम छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर देता है। वह शहर की एक छोटी सी परचून की दुकान पर दिन भर ईमानदारी और लगन से काम करता है। शाम होते ही, रहीम अपनी थकान को दरकिनार करते हुए पास के 'शाम के मदरसे' में पढ़ने चला जाता है, जहाँ गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। मदरसे से लौटने के बाद भी वह अपनी अम्मी की मदद करता है, घर के कामों में हाथ बँटाता है। रविवार का दिन उनके लिए खास होता है, जब रहीम अपनी अम्मी से अपने बड़े-बड़े सपने साझा करता है – खूब पढ़कर बड़ा आदमी बनना और अम्मी को आराम भरी ज़िंदगी देना। कहानी इस बात पर भी जोर देती है कि कैसे रहीम अपनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अच्छी आदतों को बनाए रखता है। जहाँ उसके आस-पास के कई लड़के गरीबी से हार मानकर गलत रास्तों पर चले जाते हैं, वहीं रहीम न केवल खुद ईमानदार और नेक रहता है, बल्कि अपने दोस्तों और पड़ोस के लड़कों को भी पढ़ाई की अहमियत समझाता है और उन्हें सही रास्ता दिखाता है। वह उन्हें बताता है कि शिक्षा ही गरीबी से निकलने का एकमात्र ज़रिया है, न कि बुरे काम। यह कहानी मेहनत, लगन और नैतिक मूल्यों का एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करती है, जो दर्शाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही दिशा में प्रयास से कोई भी व्यक्ति अपनी मुश्किलों को पार कर सकता है।

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