सोशल मीडिया की प्रासंगिकता

सोशल मीडिया की प्रासंगिकता

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Smita Saksena
Smita Saksena 17 Apr, 2023 | 1 min read
#socialmedia thoughts

सोशल मीडिया एक ऐसा सरल माध्यम है जिसने पूरी दुनिया को जोड़ा है। इंटरनेट एवं तकनीक के बल पर आज इंसान भले ही किसी से रूबरू ना मिल सके पर वीडियो कॉल, एफबी, इंस्टग्राम एवं वॉटसएप जैसे कितने ही सोशलमीडिया टूल्स की बदौलत अपनों से हर वक़्त जुड़ा रह सकता है। लोगों की समस्या का समाधान ढूढना हो या फिर बोरियत हो रही हो ये अलादीन के चिराग जैसा सोशलमीडिया का जिन्न आपके लिए सब कुछ हाज़िर कर सकता है। इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली है, कोविद टाईम में वर्क फ्राम होम हो ये सब कुछ सोशल मीडिया और इंटरनेट की ही देन है वरना शायद कोविद के समय तो दुनिया पूरी तरह से एक दूसरे से कट ही जाती और शायद कुछ लोग तो अकेलेपन के खौफ से ही मर जाते।

फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम के माध्यम से कंपनियां अपना व्यापार आगे बढ़ा सकीं हैं। लिंकडिन जैसे प्लैटफॉर्म हैं जहाँ घर पर रहकर ही लोग नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं और कंपनी इंटरव्यू से लेकर आफर लैटर तक ऑनलाइन ही कर रही हैं। पर कुछ लोग इंटरनेट और एप्स से नशे की हद तक जुड़े हैं और पूरा दिन और रात तक इसी में लगे रहते हैं साथ ही बीमारी को अलग न्यौता देते हैं। सोचिये अगर एक दिन के लिए सोशलमीडिया अचानक चलंना बंद हो जाए तो क्या हो। इतना एडिक्शन किसी भी चीज की अच्छा नहीं होतआ है। अति तो बुरी ही होती है तो फिर किया क्या जाए कैसे बचें इस एडिक्शन से.. चलिए जानते हैं इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को :-

थोड़ी सी निगरानी और थोड़ी सी सावधानी :-

आजकल युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी इस आभासी दुनिया को जीवन की सच्चाई समझते हैं और इस वर्चुअल दुनिया में लाइक, कमेंट, शेयर को ही वास्तविक खुशी मानते हैं। कई लोग अपने जीवन की पल-पल की तस्वीरें सांझा करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग गलत जानकारियां फैलाते हैं और सोशल मीडिया का गलत फायदा उठाते हैं। 

साइबरबुलिंग या ट्रोलिंग, फेक न्यूज़, समय की बर्बादी, दूसरे के एक सैट किए माहौल में ऐप पर बनाए गए वीडियो एवं फोटोज़ डिप्रेशन को न्यौता देते हैं क्योंकि हर व्यक्ति कंपैयल करने लगता है कि ये फोटो/वीडियो वाले लोगों का जीवन इतना संपन्न और खुशहाल है पर मेरा जीवन इतना अधूरा और दुखी है। शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है आंखों पर जोर पड़ता है साथ ही मोबाइल लैपटॉप ज्यादा देखने और गलत पॉश्चर में बैठे रहने से अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है। 

बदले आदतें, लगाएं लगाम और करें सार्थक एवं सीमित उपयोग :-

सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूरत भर ही करे और समय का निर्धारण करें कि इस समय और इतनी ही घंटे इस्तेमाल करेंगे। 

अपने बच्चे को खेल-कूद एवं अन्य गतिविधियों में व्यस्त रखें और खुद भी बच्चे के सामने मोबाइल का इस्तेमाल कम करें।

सतर्क रहें अपनी निजी जानकारी सोशल मीडिया पर किसी अनजान के साथ शेयर ना करे, अपने अकाउंट्स को लॉक रखें और बेसिक जानकारी ही शेयर करें। 

सोशलमीडिया की प्रासंगिकता तो माननी ही पड़ेगी :-

सोशल मीडिया आज जरूरी है क्योंकि इसके माध्यम से हम अपनी बात को सीधे तौर पर और तुरंत पूरी दुनिया तक मिनटों में रख सकते हैं। 

उदाहरण के तौर पर पिछले विगत वर्षों में देखने को मिलआ है कि जैसे विदेश में रह रहे भारतीयों को जब भी कोई समस्या आई, तो वह लोग ट्विटर पर ट्वीट करते थे और भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत ही उनकी समस्या का समाधान कर दिया।  

किसी व्यक्ति के साथ यदि कोई अन्याय हुआ है गलत प्रॉडक्ट्स उसको पहुंचे हैं तो उसकी सूचना व्हाट्सएप, फेसबुक के माध्यम से और कंपनी को टैग करके तुरंत दूसरे और सही प्राडक्टस पा सकता है। इसी तरह से काफी सारे काम काफी सरलता से पूरे हो जाते हैं जरूरत है तो सिर्फ इस बात की कि हम सोशल मीडिया का सीमित एवं सार्थक इस्तेमाल करें। हर सिक्के के जैसे दो पहलू होते हैं वैसे ही सोशलमीडिया के भी हैं अच्छे और बुरे और ये पूरी तरह से हम पर निर्भर करता है कि हम स्वयं तथा समाज के लिए क्या चुनते हैं। 




































































































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