मित्र
मुझे मिला जो मीत है,हरदम मेरे साथ।
जहां कहीं भी मैं डिगा, थामें मेरा हाथ।
थामें मेरा हाथ,चाव से दिया सहारा।
तभी बचायी जान,मौत से किया किनारा।
कह "रेखा" सच बात,मित्रता ऐसी पाना
जीना मरना साथ,मरते दम तक निभाना।
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
स्वरचित व मौलिक रचना
Paperwiff
by rekhajain