प्रेम सदाबहार है
जब कभी हम
टूटते, दरकते या बिखरते हैं,,
प्रेम सहसा उग आता है
उन तमाम दरारों में
पीपल सा,,
और,,ढांप लेता है हमें
सावनी हरीतिमा की सी तरह ,
प्रेम सदाबहार है
किसी मौसम की प्रतीक्षा नहीं करता ,
सूखती हुई धरती को
हरियाली सौंप देने का
यह रास्ता भी नायाब रहा,,है न !!
Paperwiff
by namitagupta