Namita Gupta
Namita Gupta 10 Sep, 2024
प्रेम सदाबहार है
जब कभी हम टूटते, दरकते या बिखरते हैं,, प्रेम सहसा उग आता है उन तमाम दरारों में पीपल सा,, और,,ढांप लेता है हमें सावनी हरीतिमा की सी तरह , प्रेम सदाबहार है किसी मौसम की प्रतीक्षा नहीं करता , सूखती हुई धरती को हरियाली सौंप देने का यह रास्ता भी नायाब रहा,,है न !!

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by namitagupta

10 Sep, 2024

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