तनहाई
हमेशा यही सोचती थी
तुम नही होते तो
मेरा क्या होता
तनहाई ने जैसे जकडा़ होता क्योकि
जबान की साफ होने के कारण
किसी को मेरी दोस्ती रास नही आई
पर तेरे प्यार की कश्ती हमेशा साथ पाई
फिर एक दिन तुम मुझे बिना बताये
बीच मझदार में छोड़ कर चले गये
छा गयी जीवन में तनहाई ही तनहाई
फिर नही बचा था मेरे
जीवन का कोई मकसद
तभी दिल ने कुछ लिखने की ललक जगाई
और कलम हाथ में उठाई
देखते देखते पता ही नही चला
कब कलम साथी बन गई मेरी तनहाई की
Paperwiff
by manishalqmxd