बरसात
वो गीले रुमाल से मेरे गालों को सहलाना,
वो मेरी हथेली को फिर हल्के से दबाना,
मेघों की गर्जन से मेरा यूं तुझ में समा जाना,
भीगे कुमकुम पर तेरी उंगलियों का स्पर्श हो जाना,
लटों को मेरी समेटकर तेरा मुझ में ही खो जाना,
"सुनो ना"
वो बरसात बहुत याद आती है,
इस बार फिर तुम इन यादों को ताज़ा कर जाना।
Paperwiff
by divyagosain