Hari
Hari 22 Aug, 2019 | 1 min read
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Jokerrr
Jokerrr 20 Aug, 2019 | 2 mins read
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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 0 mins read
नियति

नियति

*एक विधवा औरत.. उसका एक मंदबुद्धि बेटा, एक मंदबुद्धि बेटी और एक हैरान परेशान भ्रष्टाचारी दामाद*.. *किसी समय तूती बोलती थी औरत की.. लेकिन काम गलत कर रही थी... जिस देश ने उसको मान सम्मान दिया.. इतना ताकतवर बनाया.. उसी देश और उन्हीं लोगों के खिलाफ उसने साज़िशें रची.. देश को गर्त में डाला.. देश की मासूम जनता को आतंकियों से मरवाया.. खूब भ्रष्टाचार किया.. बेरहमी से देश का खज़ाना लूटा.. देश के स्वाभिमान को तार तार करके रख दिया*.. *लेकिन कहते हैं न ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती है.. वो बड़े से बड़े अत्याचारी अहंकारी को समय के साथ धूल चटा देता है... आज उसी दौर से कभी देश की करोड़ों जनता का भाग्य विधाता रहा ये परिवार आज उस मानसिक तनाव और तकलीफों से गुज़र रहा है जिसकी कभी उसने कल्पना भी नहीं की थी*.. *इस परिवार के बनाये गए सिस्टम और चक्रव्यूह को एक अकेला भेदने निकला था.. और उसने काफी हद तक भेद भी दिया है और इसी कारण से आज ये परिवार परेशान है.. शायद यही वजह थी कि पहली बार कल के स्वतंत्रता दिवस समारोह में इस परिवार का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ*.. *क्योंकि इनको उस आदमी को पूरे समय देखना और सुनना पड़ता जिसने इनका जीना मुहाल कर रखा है.. जिससे ये परिवार सबसे ज़्यादा नफ़रत करता है.. जिसको इन्होंने भी तब खूब परेशान किया था जब सत्ता का हर सूत्र इनके हाथ में था और सत्ता के दुरुपयोग को ये अपना अधिकार समझते थे.. लेकिन तब भी ये उसका कुछ नहीं बिगाड़ सके थे लेकिन पिछले 5 सालों में ही उसने उनके इस तिलिस्म को तोड़ना शुरू करके उनमें घबराहट तो पैदा कर ही दी है*.. *माँ को लगा कि बेटे को कमान सौंपकर और दुबारा राजपाट हासिल कर हम फिर से मौज करने लगेंगे.. इसके लिए भी साम दाम दंड भेद हर नीति को अपनाया गया.. उसकी साफ सुथरी उजली छवि पर खूब कीचड़ उछाले.. झूठे आरोप लगाए.. बेटा दिन रात.. सुबह शाम गंद फैलाता रहा.. इस बार देश की जनता ने भी इस परिवार के दंभ को चकनाचूर करके रख दिया और उनकी पहले से भी ज़्यादा दुर्गति करके रख दी*.. *बेटा बेटी मिलकर कुछ नहीं कर पा रहे थे.. बेटे ने घबराकर कहा मुझे नहीं चाहिए पार्टी की कमान तो इस परिवार के गुलामों ने फिर से उसी औरत को अपना मालिक बनाया और तलवे चाटने की प्रथा को जारी रखा.. दामाद ने अपनी सास के दौर में जो घोटाले किये थे दामाद उसी कारण रोज़ जाँच एजेंसियों के चक्कर लगा रहा है और बेटी ऊलजलूल बयान देकर उसी के लिए मुसीबतें खड़ी करती जा रही है*.. *नियति का खेल देखिये.. चायवाले के यहाँ विश्व का सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री पैदा हुआ और प्रधानमंत्रियों के घर में चाय तक न बेच पाने काबिल नालायक लड़का पैदा हुआ*.. *नियति हिसाब करने पर आमादा है.. और परिवार भी समझ ले कि अब सत्ता उसके लिए दिवास्वप्न से ज़्यादा कुछ नहीं है और इस देश, हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ रची गई साज़िशों की सज़ा उसे भुगतनी ही पड़ेगी*

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Kiran
Kiran 18 Aug, 2019 | 1 min read
Shaheed Bhagat Singh

Shaheed Bhagat Singh

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 13 Aug, 2019 | 1 min read

आध्यात्मिकता

विशुध्द आध्यात्मिक जगत में साधक लोग आत्म शुद्धि के लिए ही हर कार्य करते हैं। बकरीद या इस प्रकार के तमाम त्योहार, दान व्रत, कुर्बानी इत्यादि का कर्मकांड इसीलिए बनाया गया है कि लोग अपनी आसक्ति कुर्बान कर, सत्य के मार्ग पर बढ़ सकें। वीतरागभय क्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः। बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः॥

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 13 Aug, 2019 | 1 min read

कश्मीर :राजनीति

आज एक छोटा सा लेख.........….... जो पार्टियाँ कश्मीर में 370 हटने के बाद अशान्ति की कामना कर रही हैं वो ख़ुद अपनी राजनीतिक सँभावनाओं को आग लगा रही हैं। कश्मीर के लिए जहाँ आज की सरकार की नीति को जनता का समर्थन मिल रहा है वहीं पूर्ववर्ती सरकारों को भी कश्मीर में भारत के प्रभुत्व को स्थापित करने की हर कोशिश को समर्थन मिलता रहा है। देश जानता है कि कश्मीर के भारत में विलय के बाद लगभग चार दशक तक लगभग शान्ति रही, इसका कारण है फैसले लेने वाली सरकार होना। 1989 के बाद अस्थाई सरकारों के दौर ने अपनी अक्षमताओं के कारण कश्मीर समस्या को बढ़ावा दिया। आज फिर देश में एक स्थाई एवं फैसले लेने वाली सरकार है और लोगों की भावनाओं के अनुरूप इस विषय पर काम कर रही है ऐसे में जो लोग विरोध कर रहे हैं वो देश की आँखों में किरकिरी बन रहे हैं। देश का मत न समझने वाले लोग न सिर्फ अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं बल्कि अपनी पार्टी के सुलझे हुए नेताओं को उलझन में डाल रहे हैं, ऐसे में दल बदल ही उनके पास एक रास्ता है क्योंकि अकेला चलो की क्षमता न किसी में बची है न स्वीकार्यता है। सीरत बदलिए सूरत बदलने से कुछ नहीं होगा। जय हिंद

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 13 Aug, 2019 | 1 min read

child labour

Child labour in India Government said that instances of child labour detected during 2014 to 2018 have reduced successively. “Child” as defined by the Child Labour (Prohibition and Regulation) Act, 1986 is a person who has not completed the age of 14 years. International Labour Organisation (ILO) defines the term ‘Child labour’as, “work that deprives children of their childhood, their potential and their dignity, and that is harmful to physical and mental development. According to 2011 Census, there were more than 10.2 million children in the age group of 5 to 14-5 as Child labourwhich includes 6 million boys and 4.5 million girls. The factors that contribute to child labour includes the poverty and illiteracy, the family’s social and economic circumstances, lack of access to basic and meaningful quality education and skills training. There are five states which are the India’s biggest child labour employers- Uttar Pradesh, Bihar Rajasthan, Madhya Pradesh and Maharashtra. As per 2011 Census, 1 in 11 children are working in India (5-18 years) 80% of the child labour in India is concentrated in rural areas  ILO 2016 data indicates that there are 152 million working children in the world between 5-17 years, of which 23.8 million children are in India. So 16% of working children are in India. #ChildLabour

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 13 Aug, 2019 | 1 min read

climate change

Climate Justice Climate justice focuses our attention on people, rather than ice-caps and greenhouse gases. No world leader should have to plan for evacuation from the land of their ancestors. The world is unprepared for a situation where adaptation fails & people are displaced due to climate. • Climate Justice is a moral argument in two parts. Firstly it compels us to understand the challenges faced by those people and communities most vulnerable to the impacts of climate change. Often the people on the front lines of climate change have contributed least to the causes of the climate crisis. • Climate justice also informs how we should act to combat climate change. We must ensure that the transition to a zero carbon economy is just and that it enables all people to realise their right to development. Principles of Climate Justice: o Respect and Protect Human Rights o Support the Right to Development o Share Benefits and Burdens Equitably o Ensure that Decisions on Climate Change are Participatory, Transparent and Accountable o Highlight Gender Equality and Equity o Harness the Transformative Power of Education for Climate Stewardship o Use Effective Partnerships to Secure Climate Justice

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 11 Aug, 2019 | 1 min read

सुषमा स्वराज

" आपको गाँठे खोलना नही आता, मसखरी के अलावा कुछ बोलना नही आता"

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