" आपको गाँठे खोलना नही आता,
मसखरी के अलावा कुछ बोलना नही आता"
ये शेर संसद में सुषमा जी ने लालू जी के लिए पढ़ा और पूरा सदन खिलखिला उठा। लालू जी भी मुस्कुरा रहे थे। दरअसल लालू जी ने सुषमा जी के लिए एक शेर पढ़ा था
"मोहब्बत में तुम्हें आँसू बहाने नही आता
रहकर बनारस में पान खाने नही आता। "
सुषमा जी को सुनना अपने आप में एक शानदार अनुभव था। अपनी गरिमामयी भाषा और व्यंग्यात्मक लहजे से अपने विरोधियों को घेर कर पस्त करने का अंदाज सुषमा जी के ही पास था। सुषमा जी अपने विरोधियों के हथियारों को ही उनके खिलाफ इस्तेमाल कर उन्हें निरुत्तर कर देती थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जब संसद में गंभीर वक्तव्य के बीच शायराना होते हुए उनके लिए शेर पढ़ा-
"हमको उनसे है वफ़ा की उम्मीद
जो नही जानते की वफ़ा क्या है"
सदन के सदस्य समझ गए थे कि अब ठहाकों की बारी है। उसके बाद सुषमा जी जब बोलने के लिए खड़ी हुई तो उन्होंने स्पीकर मीरा कुमार जी के माध्यम से कहा कि, प्रधानमंत्री जी ने जो शेर पढ़ा है। शायरी का एक अदब होता है। शेर कभी उधार नही रखा जाता। मैं प्रधानमंत्री जी को एक के बदले दो शेर लौटा कर जवाब दूंगी।
उन्होंने एक शेर पढ़ा
"कुछ तो मजबूरियाँ रही होगी
यूँ ही कोई बेवफा नही होता"।।
और मजबूरी क्या है कि आप मुल्क से बेवफाई कर रहे हैं तो हम आपसे वफ़ा नही कर सकते। एक दूसरा शेर पढ़ रही आपको मुखातिब करके
तुम्हे वफ़ा याद नही,हमें जफ़ा याद नही
जिंदगी के दो ही तो तराने हैं,
एक तुम्हे याद नही, एक हमें याद नही।।
फिर सदन तालियों और ठहाकों से गूंज उठा।
फिर मनमोहन जी ने भी फ़ैज़ साहब का ये शेर पढ़ कर कर्ज उतारा
"माना कि तेरी दीद के काबिल नही हूँ मैं
तू मेरा शौक तो देख, मेरा इंतजार देख"।।
सुषमा जी जब विदेश मंत्री थी तब एक यूजर ने ट्वीट किया
" Stuck on Mars"
तब सुषमा जी ने ट्वीट के जवाब में लिखा था-
"Even if you are stuck on mars, Indian embassy there will help you".
अपनी हाजिरजवाबी और शालीनता से विरोधियों के भी दिल जीत लेने वाली सुषमा जी भारतीय राजनीति का चमकता हुआ प्रकाशपुंज थीं। सुषमा जी भारतीयता की एक अमिट पहचान थीं। नमन है उनको ....
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