बारिश
ये बारिश की बूँदें और मन का सुकून,
टिप टिप गिरती है बूँदें प्यार की धुन,
चाहतों का तेरे मेरे दिल में उतरना,
बारिश की शीतलता मन सदा चुन।
विरह की आग को बढ़ाती है सदा ये,
बेचैनियों का सबब मन तू सदा ही सुन
मिल जाएं जीने की वजह तो करार आये,
कोई पुकार लें और गुम हो जाऊँ मैं सुन।
Paperwiff
by ruchikarai