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Samidha Varma
Samidha Varma 31 May, 2022
शीर्षक :तुझसे ही जीवन में बहार है
शीर्षक :तुझसे ही जीवन में बहार है । ख्वाब तुम्हारे ही बुनते मेरे ये दो नैन, सुध-बुध अपनी बिसराई, दिल को नहीं है चैन। कटता नहीं ये वक्त अब बिन आपके। पलकें बिछाई मैने इन्तज़ार में आपके। देखकर बदरा गगन में नाच उठा मन -मयूर। पिया मिलन के ख्याल से ही, दमक उठा चेहरे का नूर। चाहा है तुझे रब से ज्यादा , इसमें मेरा नहीं कुसूर। छाया है मुझ पर बस, एक तेरा ही सुरूर। तेरी एक मुस्कान पर , लुटा दूँ मैं दो जहाँ की खुशियाँ। तू रहना साथ सदा मेरे, फिर जो चाहे, कहे दुनिया। तू ही ख्यालों में, और ख्वाबों में भी तू। तू ही मेरा सलोना संसार है। तू हमसाया है मेरा, हमनवाज़ भी तू। तुझसे ही जीवन में बहार है। मेरी तो रग-रग में बसे हो तुम, मैं मुस्कुराई तभी , जब हँसे हो तुम। दुआएँ माँगी सदा तुम्हारी लम्बी उम्र की, कि लग जाए तुमको मेरी उम्र भी जिन्दगी भर यही करती रही इन्तज़ार, कि तुम कहोगे,"मुझे भी है तुमसे प्यार"। मैं तुम्हें फिर मिलूँगी , क्षितिज के उस पार, करती हुई इन्तज़ार, आँखों में लिए प्यार बेशुमार। ( स्वरचित ) ✍🏼 समिधा नवीन वर्मा Samidha Naveen Varma सहारनपुर (उ० प्र०)

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तुझसे ही जीवन में बहार है