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राष्ट्र-तिरंगा
शीर्षक-“राष्ट्र तिरंगा” राष्ट्र-तिरंगा आन बान और शान है मेरी- देश मेरे तुझ पर ये जां कुर्बान है मेरी, भारत की पावन माटी महके ज्यों चंदन- आज़ादी के पुण्य-पर्व पर गूंजे रणभेरी. तीन रंग के इस झंडे पर जाऊं मैंबलिहारी- केसरिया,सफेद औरहराशोभा अति न्यारी, नीला चक्र सुसज्जित है बीचों-बीच यहाँ- शीश झुकाते इसे सभी बालक,नर,नारी. अमर शहीदों की गाथा कहताहैभगवा रंग- कभी भूल न पाएंगे हम आजादी की जंग, सर पर बांध कफन शत्रु को हंसते-हंसते प्राण दिये होकर मस्त मलंग. पावन श्वेत रंग शांति का संदेसा लाता है- मिलकर रहें देशप्रेमी हमको समझाता है, अनेकता में एकता का लक्ष्य बता हमको करे समाहित ख़ुद में सारे रंग,अपनाता है. हरा रंग खुशहाली का है,बाग-बाग मन हो जाता- धानी चूनर ओढ़े धरती,देख गगन भी इठलाता, कृषक अन्नदाता कहलाता,जग का पेट वही भरता- हरित-क्रांति का परिवेश हर भूमिपुत्र को भाता. नील-वर्ण का चक्र सजीला,बना हुआ है ध्वज के बीच- चौबीस तीली दिखतीं इसमें,घंटे गिनों नयन दो भींच, जीवन है गतिमान कहे यह,चलते रहना आठों याम- रुकना झुकना नहीं कभी भी, पत्थर की लकीर लो खींच. मेरे विश्व गुरु भारत का गजब तिरंगा फहरे गर्वित उच्च हिमालय,भू पर बहें गंग की लहरें नमन करें हम इस झंडे को, इसमें बसती सबकी जान जब तक यह लहराता दीखे, तन मन रहता बिल्कुल चंगा, ________

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by anjugahlot

राष्ट्र तिरंगा

राष्ट्र-तिरंगा
शीर्षक-“राष्ट्र तिरंगा” राष्ट्र-तिरंगा आन बान और शान है मेरी- देश मेरे तुझ पर ये जां कुर्बान है मेरी, भारत की पावन माटी महके ज्यों चंदन- आज़ादी के पुण्य-पर्व पर गूंजे रणभेरी. तीन रंग के इस झंडे पर जाऊं मैंबलिहारी- केसरिया,सफेद औरहराशोभा अति न्यारी, नीला चक्र सुसज्जित है बीचों-बीच यहाँ- शीश झुकाते इसे सभी बालक,नर,नारी. अमर शहीदों की गाथा कहताहैभगवा रंग- कभी भूल न पाएंगे हम आजादी की जंग, सर पर बांध कफन शत्रु को हंसते-हंसते प्राण दिये होकर मस्त मलंग. पावन श्वेत रंग शांति का संदेसा लाता है- मिलकर रहें देशप्रेमी हमको समझाता है, अनेकता में एकता का लक्ष्य बता हमको करे समाहित ख़ुद में सारे रंग,अपनाता है. हरा रंग खुशहाली का है,बाग-बाग मन हो जाता- धानी चूनर ओढ़े धरती,देख गगन भी इठलाता, कृषक अन्नदाता कहलाता,जग का पेट वही भरता- हरित-क्रांति का परिवेश हर भूमिपुत्र को भाता. नील-वर्ण का चक्र सजीला,बना हुआ है ध्वज के बीच- चौबीस तीली दिखतीं इसमें,घंटे गिनों नयन दो भींच, जीवन है गतिमान कहे यह,चलते रहना आठों याम- रुकना झुकना नहीं कभी भी, पत्थर की लकीर लो खींच. मेरे विश्व गुरु भारत का गजब तिरंगा फहरे गर्वित उच्च हिमालय,भू पर बहें गंग की लहरें नमन करें हम इस झंडे को, इसमें बसती सबकी जान जब तक यह लहराता दीखे, तन मन रहता बिल्कुल चंगा, ________

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