Adhiraj
Adhiraj 15 Oct, 2025
किरदार
साँझ, सुबह, दोपहर में , छिपा हुआ अंतराल हूँ | चलती फिरती भीड़ में, एक थमा हुआ किरदार हूँ| चुस्त दुरुस्त संवाद में, अन्तर्मन की प्यास हूँ | कहाँ खोजते फिदरत को ? कसमों का पहरेदार हूँ| अर्थहीन कलम का मालिक, एक अनाड़ी पेशेदार हूँ |

Paperwiff

by adhiraj

15 Oct, 2025

किरदार

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