archana Rai

archanarai

मेरे अंतस में कहीं एक भावनाओं का समंदर बहता है.... देख दुनिया की रिवायतें.. लाख नजरअंदाज कर लूँ... फिर भी पीर का एक ज्वार उभर आता है... जो तोड़ मन के दायरे कलम के सहारे.... शब्दों का जामा पहन कागज पर उतर आता है.. तब मेरे लिए...कहीं.. एक कहानी/कविता/ लघुकथा का जन्म होता है.

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